(तर्ज – हे मेरे वतना के)
जागो जैनी जागो, अब यह समय आया है ।
हम अपनी पहचान बनाकर, जग को ये बतलायें ॥
हम तो बहुत संख्या में हैं, -ऽ ये जग को हम बतलायें ।
हम अपने नाम के आगे, हम जैन शब्द लिखवायें ॥ जागो–
हम इस जनगणना में, जागृत हो जागृत करवायें ।
हम सब मिलकर के इस, जैनत्व का महत्व बतलायें ॥
छः नम्बर के कालम में हम, जैन धर्म लिखवायें ।
ये हमारी जागृती है, हम जन जन तक पहुँचायें ॥
जैनत्व का झण्डा ऊँचा हो, –ऽऽ ये लक्ष्य हम सब बनायें ।
तन मन धन सब लगाकर, हम इसको सफल बनायें ॥ जागो–
आदि वीर प्रभु ने हमको, जैनत्व समझाया ।
शांति विद्या सन्मति गुरूओं ने, इसको और बढ़ाया ॥
हम सबका ये कर्तव्य है, — ऽऽ हम इसको और बढ़ायें ।
हम सब इन जनगणना में, नाम के साथ जैनधर्म लिखवायें ॥
जागो जैनी जागो, अब यह समय आया है ।
जय जिन जय जिन जय जिन देवा ॥
रचानाकार- प. पू. मुनि अजयसागर
रचना स्थान व तिथि- नांद्रे (महाराट्र) १४/०८/२०२१)