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आओ ध्यान लगाते हैं

आओ ध्यान लगाते हैं

आओ आओ ध्यान लगाओ ।
आ भीतर तुम भी…तर आओ ।।

‘अ’ भौहों के बीच बनाओ ।
लाल रंग ले उसे रँगाओ ।।
पीछे भामण्डल चाँदी का,
अर्हन्-अर्हन रटते जाओ ।।१।।

‘सि’ चोटी-के बीच बनाओ ।
रँग सफेद ले उसे रँगाओ ।।
पीछे भामण्डल सोने का,
सिद्धम्-सिद्धम् रटते जाओ ।।२।।

‘आ’ सरसुति माँ कण्ठ बनाओ ।
रँग पीला ने उसे रँगाओ ।।
पीछे भामण्डल चांदी का,
रट अचार्य-आचार्य लगाओ ।।३।।

‘उ’ हृदयस्-थल बीच बनाओ ।
हरा रंग ले उसे रँगाओ ।।
पीछे भामण्डल चाँदी का,
रट उवझा-उवझाय लगाओ ।।४।।

‘सा’ कमलासन नाभि बनाओ ।
रँग नीला ले उसे रँगाओ ।।
पीछे भामण्डल चाँदी का,
साधो-साधो रटते जाओ ।।५।।

ध्यान लगाओ, ओ ! आओ ।
आँखें बन्द करो आओ ।।

तनिक श्वास अपनी रोको ।
एक आईने सा देखो ।।
दूजा पून चाँद टुकड़ा ।
झलके सा उसमें मुखड़ा ।।
अब अपने इस मुखड़े में ।
देखो अपनी धनुष भुएँ ।।1।।

बीचों बीच बनाओ ‘अ’ ।
लाल रंग, दो इसे रॅंगा ।।
पीछे भामण्डल खींचो ।
ले चाँदी पानी सींचो ।।
करो रट लगा पुण्य जमा ।
अर्हन अर्हन नमो नमः
ध्यान लगाओ, ओ ! आओ ।
आँखें बन्द करो आओ ।।2।।

तनिक श्वास अपनी रोको ।
एक आईने सा देखो ।।
चक्र दूसरा ही मानो ।
जड़ चोटी झलकी मानो ।।
बीचों बीच बनाओ ‘सि’ ।
रॅंग दो रंग सफेद मसी ।।
पीछे भामण्डल खींचो ।
ले सोना पानी सींचो ।।
करो रट लगा पुण्य जमा ।
सिद्धम्-सिद्धम् नमो नमः ।।3।।

ध्यान लगाओ, ओ ! आओ ।
आँखें बन्द करो आओ ।।
तनिक श्वास अपनी रोको ।
एक आईने सा देखो ।।
शंख दूसरा ही मानो ।
गला झलक आया ठानो ।।
बीचों बीच बनाओ ‘आ’ ।
रॅंग पीले, दो इसे रॅंगा ।।
पीछे भामण्डल खींचो ।
ले चाँदी पानी सींचो ।।
करो रट लगा पुण्य जमा ।
अचार्य-अचार्य नमो नमः ।।4।।

ध्यान लगाओ, ओ ! आओ ।
आँखें बन्द करो आओ ।।
तनिक श्वास अपनी रोको ।
एक आईने सा देखो ।।
पीपल पत्ता ही मानो ।
हृदय झलक आया ठानो ।।
बीचों बीच बनाओ ‘उ’ ।
रॅंग ले हरा, भरो खुशबू ।।
पीछे भामण्डल खींचो ।
ले चाँदी पानी सींचो ।।
करो रट लगा पुण्य जमा ।
उवझा-उवझा नमो नमः ।।5।।

ध्यान लगाओ, ओ ! आओ ।
आँखें बन्द करो आओ ।।
तनिक श्वास अपनी रोको ।
एक आईने सा देखो ।।
दूज कमलनी ही मानो ।
नाभि झलक चाली मानो ।।
बीचों बीच बनाओ ‘सा’ ।
रँग नीले दो इसे रँगा ।।
पीछे भामण्डल खींचो ।
ले चाँदी पानी सींचो ।।
करो रट लगा पुण्य जमा ।
साधो-साधो नमो नमः ।।6।।

आओ आँख झपाते हैं ।
आतम से मिल आते हैं ।।
आओ सांस भरो पूरी ।
ज्यादा दूर न कस्तूरी ।।
जर्रा थम थमियाते हैं ।
आतम से मिल आते हैं ।।1।।

बीच भ्रुओं के लिख लो ‘अ’ ।
और बढ़‌ाने अब शोभा ।।
लाल रंग के फूल बिछा ।
इक भामण्डल रख लो ना ।।
भामण्डल यह चाँदी का ।
लग पीछे ऐसा दीखा ।।
ठण्डी राख गरम लोहा ।।2।।

चोटी ‘सि’ लिखना अब ‘री ।
और बढ़‌ाने अब शोभा ।।
सफेद रॅंग के फूल बिछा ।
इक भामण्डल रख लो ना ।।
भामण्डल यह सोने का ।
लग पीछे ऐसा दीखा ।।
पर्वत स्वर्ण बर्फ धौरी ।।3।।

अब ‘आ’ लिक्खो बीच गले ।
और बढ़‌ाने अब शोभा ।।
पीले रॅंग के फूल बिछा ।
इक भामण्डल रख लो ना ।।
भामण्डल यह चाँदी का ।
लग पीछे ऐसा दीखा ।।
बादल शरद सूर्य निकले ।।4।।

अब ‘उ’ लिक्खो हृदय जरा ।
और बढ़‌ाने अब शोभा ।।
हरे रंग के फूल बिछा ।
इक भामण्डल रख लो ना ।।
भामण्डल यह चाँदी का ।
लग पीछे ऐसा दीखा ।।
शिला स्फटिक रत्न हरा ।।5।।

अब ‘सा’ लिक्खो नाभिस्-थल ।
और बढ़‌ाने अब शोभा ।।
नीले रॅंग के फूल बिछा ।
इक भामण्डल रख लो ना ।।
भामण्डल यह चाँदी का ।
लग पीछे ऐसा दीखा ।।
झाग सरोवर नील कमल ।।6।।

आओ ध्यान लगाओ आओ ।
अपनी दिव्य झलक इक पाओ ।।
सुनो हृदय की धक-धक भाई ।
दे सुनाइ, मन शान्त बनाई ।।
धीमे छोड़ साँस लो धीमे ।
चलो नाद ओंकार लगाओ ।।
आओ ध्यान लगाओ आओ ।।1।।

चाँदी का भामण्डल रक्खो ।
बीच भुओ के अब ‘अ’ लिक्खो ।।
लाल रंग के बल्ब बिछाओ ।
रट अरिहन् ले जला बुझाओ ।।2।।

सोने का भामण्डल रक्खो ।
चोटी बीच चलो ‘सि’ लिक्खो ।।
सफेद रँग के बल्ब बिछाओ ।
रट सिद्धम ले जला बुझाओ ।।3।।

चाँदी का भामण्डल रक्खो ।
सरसुति कण्ठ बीच ‘आ’ लिक्खो ।।
पीले रँग के बल्ब बिछाओ ।
रट अचार्य ले जला बुझाओ ।।4।।

चाँदी का भामण्डल रक्खो ।
बीचों बीच हृदय ‘उ’ लिक्खो ।।
हरे रंग के बल्व बिछाओ ।
रट उवझा ले जला बझाओ ।।5।।

चाँदी का भामण्डल रक्खो ।
नाभी कमल बीच ‘सा’ लिक्खो ।
नीले रँग के बल्ब बिछाओ ।
रट साधू ले जला बुझाओ ।।6।।

रंग रंग भर पंख उठाओ ।
अंग अंग पर रंग लगाओ ।।

चेहरे रंग लगाना लाल ।
नाक, कान, आंखें, मुख बाल ।।
नमो नमः ‘अ’ रटते जाओ ।
आत्म चुनर पचरंग उढ़ाओ ।।1।।

गले लगाना रंग सफेद ।
गर्दन सरसुति कण्ठ समेत ।।
नमो नमः ‘सि’ रटते जाओ ।
आत्म चुनर पचरंग उढ़ाओ ।।2।।

हृदय लगाना पीला रंग ।
छाती भुज कांधे उत्तुंग ।।
नमो नमः ‘आ’ रटते जाओ ।
आत्म चुनर पचरंग उढ़ाओ ।।3।।

हरा लगाना नाभि रंग ।
पीठ पेट कम्मर मध्यंग ।।
नमो नमः ‘उ’ रटते जाओ ।
आत्म चुनर पचरंग उढ़ाओ ।।4।।

पाँव लगाना नीला रंग ।
पंजे पिण्डलि घुटने जंघ ।।
नमो नमः ‘सा’ रटते जाओ ।
आत्म चुनर पचरंग उढ़ाओ ।।5।।

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