संयम
(१)
हमारा हाथ, भांत हाथी बस नाम का है
सिर्फ हाथी की सूँड जैसा है
हमारी अंजुली जल से मिली जुली है
जब चाहे तब पतली गली से
पानी के लिये खिसका देती हैं
जिसे कहते हैं संस्कृत भाषा में ‘आप्’
कितना बटोर लेंगे हम
चलिये कहना सीखते हैं पहले आप
(२)
आँखें हमेशा खुली कहाँ रहती हैं
पलकें बीच बीच में बाजी मार ले जाती हैं
देखते ही देखते सब्जी वाले
हाँ ! हाँ !! सब ‘जी’ वाले
दण्डी मार ले जाते हैं
बाद में जब आँखें
फटी की फटी ही रहनी हैं
तो क्यों ना छटी इन्द्रिय प्रकटाये
और संयम अपनाये
(३)
यदि आप पूछते ही हैं ?
‘के पल पल होने वाले
आयु के क्षरण रूप मरण में
सु…मरण कैसे करना हैं ?
तो कुछ ज्यादा नहीं करना है
बस
सु यानि ‘कि सम्
और मरण यानि ‘कि यह
मतलब संयम रखना है
(४)
यदि जिन्दगी में
यम बढ़ आता है
और आगे आ करके अड़ जाता है
तो संयम से मिलो
यहाँ तक ‘कि
शब्द संयम में भी
यम न दिखा आगे कभी
(५)
संयम बिना जिन्दगी बेकार है
यदि जिन्दगी कार है
हो ब्रेक है संयम
(६)
रोष दिखाने काली
ज्वाला
रोशनी भी दिखा सकती है
वाकई संयम एक अनूठी ही
विभूति है
(७)
बाढ़ विसर्जन है
मैं सृजन की बात कर रहा हूँ
संयम मतबल
दो पाटों के बीच सरकती सरिता
हाँ ! हाँ !! कह सकते हैं
जिसे बाड़ी भी कहते हैं
बाड़ उसके बीच लहरती हरिता
(८)
पन्ने अर मोति
संयम मतलब
पन्ने तप मोति
सच ! तबाही मचाती
स्याही संयमित हो करके क्या
निकलती है
पेज की इमेज ही बढ़ चलती है
(९)
यदि आप पूछते ही हैं ?
‘के है क्या ये संयम ?
तो
सम् +यम
समयम्
आत्मा में रहने का नाम है संयम
(१०)
यदि हम पूछते हैं ?
खण्डहर में जा करके
‘के कौन पाले संयम ?
तो प्रतिध्वनि आती है लौटकर के
कौन पाले ? स्वयं
(११)
सै यानि ‘कि सही हैं
यम यानि ‘कि यमराज आयेगा एक दिन
तो क्या करें ?
ज्यादा कुछ नही करना है
सम् मतलब सु
यम मतलब मरण
सो चलो सु…मरण करें
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