न्यार-दिन-वार
(१)
किसी मंगल कार्य के
मंगलाचरण के लिये
आज रविवार से बढ़ करके
मंगलमय
होगा तो होगा मुझे
और कौन सा वह दिन
उर्दू जुबां बोलने वाले ग्रामवासी जन
जिसे कहते हैं
‘इतबार’ ऐतबार का दिन
क्यूँ ना मैं बेझिझक
लूँ बढ़ा अपने कदम
और खुशी के आँसूओं से
कर लूँ अपनी आँखें नम
(२)
किसी मंगल कार्य के
मंगलाचरण के लिये
आज सोमवार से बढ़ करके
मंगलमय
होगा तो होगा मुझे
और कौन सा वह दिन
जो खुद-ब-खुद कह रहा है
स… ओम्
मतलब ओम् से शुरू होने वाले
समस्त मन्त्रों से मंत्रित है
यदि कोई दिवस
तो वह, मैं बस
क्यूँ ना मैं बेझिझक
लूँ बढ़ा अपने कदम
और खुशी के आँसूओं से
कर लूँ अपनी आँखें नम
(३)
किसी मंगल कार्य के
मंगलाचरण के लिये
आज मंगलवार से बढ़ करके
मंगलमय
होगा तो होगा मुझे
और कौन सा वह दिन
न सिर्फ खुद-ब-खुद
यह दिन ही कह रहा
ऐसा पूछने पर
‘के आज है क्या ?
तब एक सुर से
ये जमीं
और वो आसमाँ कह चला
आज मंगल
क्यूँ ना मैं बेझिझक
लूँ बढ़ा अपने कदम
और खुशी के आँसूओं से
कर लूँ अपनी आँखें नम
(४)
किसी मंगल कार्य के
मंगलाचरण के लिये
आज बुद्धवार से बढ़ करके
मंगलमय
होगा तो होगा मुझे
और कौन सा वह दिन
जो हमारे कानों के
कुछ करीब आ करके
खुद-ब-खुद कह रहा है
बुद्धिमानों ने मुझे
इतनी बार चुना
‘के एक सुर से
कह चली दुनिया सारी
बुध दिन बुद्धिन
क्यूँ ना मैं बेझिझक
लूँ बढ़ा अपने कदम
और खुशी के आँसूओं से
कर लूँ अपनी आँखें नम
(५)
किसी मंगल कार्य के
मंगलाचरण के लिये
आज गुरुवार से बढ़ करके
मंगलमय
होगा तो होगा मुझे
और कौन सा वह दिन
जो कुछ-कुछ खुद-ब-खुद कह रहा है
जैसे तरुवर को तर-वर कहते हैं बुजुर्ग
वैसे ही शब्द ‘गुरु’ गुर-हुनर को
अपने अन्दर छुपाये है
‘के कोई गुर वाला दिवस
तो वह मैं बस
क्यूँ ना मैं बेझिझक
लूँ बढ़ा अपने कदम
और खुशी के आँसूओं से
कर लूँ अपनी आँखें नम
(६)
किसी मंगल कार्य के
मंगलाचरण के लिये
आज शुक्रवार से बढ़ करके
मंगलमय
होगा तो होगा मुझे
और कौन सा वह दिन
जो खुद-ब-खुद कह रहा है
ऐसा पूछने पर
‘के किसके ऊपर
भगवान् का शुकर
तो वह सिर्फ और सिर्फ मुझ पर
क्यूँ ना मैं बेझिझक
लूँ बढ़ा अपने कदम
और खुशी के आँसूओं से
कर लूँ अपनी आँखें नम
(७)
किसी मंगल कार्य के
मंगलाचरण के लिये
आज शनिवार से बढ़ करके
मंगलमय
होगा तो होगा मुझे
और कौन सा वह दिन
जिसे
‘स’ के बाद थोड़ा सा
ठहर करके पढ़ते ही
‘स’ मतलब सभी संकट
विघ्न, अमंगल, दुर्घटना-विकट
‘निवार’ मतलब निवारण हो जाते हैं
ऐसा स्वयं शनि-देव बतलाते हैं
क्यूँ ना मैं बेझिझक
लूँ बढ़ा अपने कदम
और खुशी के आँसूओं से
कर लूँ अपनी आँखें नम
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