भक्ता-मर-स्तोत्र १११
हाई…को ?
चाहूँ मैं तेरी एक नजर ।
माँझी आदि भँवर ।।१।।
चाहूँ मैं तेरी एक नजर ।
पार धार इंदर ।।२।।
चाहूँ मैं तेरी एक नजर ।
मेरी धी अल्पतर ।।३।।
चाहूँ मैं तेरी एक नजर ।
असि धार डगर ।।४।।
चाहूँ मैं तेरी एक नजर ।
रहा काम बिगड़ ।।५।।
चाहूँ मैं तेरी एक नजर ।
पौन पाछी अवर ।।६।।
चाहूँ मैं तेरी एक नजर ।
जाप पाप विहर ।।७।।
चाहूँ मैं तेरी एक नजर ।
भाँत मात जिगर ।।८।।
चाहूँ मैं तेरी एक नजर ।
कथा वृथा संहर ।।९।।
चाहूँ मैं तेरी एक नजर ।
शम-कर कंकर ।।१०।।
चाहूँ मैं तेरी एक नजर ।
नैन चैन अखर ।।११।।
चाहूँ मैं तेरी एक नजर ।
जोड़ माटी इतर ।।१२।।
चाहूँ मैं तेरी एक नजर ।
मुख दुख चन्दर ।।१३।।
चाहूँ मैं तेरी एक नजर ।
लाँघें गुण अम्बर ।।१४।।
चाहूँ मैं तेरी एक नजर ।
गुमाँ रम्भा संहर ।।१५।।
चाहूँ मैं तेरी एक नजर ।
दीया ज्योति अखर ।।१६।।
चाहूँ मैं तेरी एक नजर ।
रवि कवि ऊपर ।।१७।।
चाहूँ मैं तेरी एक नजर ।
शशि निशि वासर ।।१८।।
चाहूँ मैं तेरी एक नजर ।
अर सूर-चन्दर ।।१९।।
चाहूँ मैं तेरी एक नजर ।
भान ज्ञान अखर ।।२०।।
चाहूँ मैं तेरी एक नजर ।
भाग, भाग इतर ।।२१।।
चाहूँ मैं तेरी एक नजर ।
दृग् माँ न दूजी तर ।।२२।।
चाहूँ मैं तेरी एक नजर ।
सांई ढ़ाई अखर ।।२३।।
चाहूँ मैं तेरी एक नजर ।
विष्णु, ब्रह्मा, शंकर ।।२४।।
चाहूँ मैं तेरी एक नजर ।
सत्य, शिव, सुन्दर ।।२५।।
चाहूँ मैं तेरी एक नजर ।
गुरु पंच प्रवर ।।२६।।
चाहूँ मैं तेरी एक नजर ।
रोष दोष संहर ।।२७।।
चाहूँ मैं तेरी एक नजर ।
तर अशोक तर ।।२८।।
चाहूँ मैं तेरी एक नजर ।
पीठ दीठ विहर ।।२९।।
चाहूँ मैं तेरी एक नजर ।
मनहर चँवर ।।३०।।
चाहूँ मैं तेरी एक नजर ।
छत्र त्रय अधर ।।३१।।
चाहूँ मैं तेरी एक नजर ।
वर दुन्दुभि स्वर ।।३२।।
चाहूँ मैं तेरी एक नजर ।
पुष्प वर्षा अम्बर ।।३३।।
चाहूँ मैं तेरी एक नजर ।
वृत्त-भा भौ-खबर ।।३४।।
चाहूँ मैं तेरी एक नजर ।
स्वर बिन अखर ।।३५।।
चाहूँ मैं तेरी एक नजर ।
पद्य पावन तर ।।३६।।
चाहूँ मैं तेरी एक नजर ।
जात वैर संहर ।।३७।।
चाहूँ मैं तेरी एक नजर ।
हाथी उत्पाती डर ।।३८।।
चाहूँ मैं तेरी एक नजर ।
डर शेर डगर ।।३९।।
चाहूँ मैं तेरी एक नजर ।
छुये दावाग्नि घर ।।४०।।
चाहूँ मैं तेरी एक नजर ।
सर्प सिर्फ जहर ।।४१।।
चाहूँ मैं तेरी एक नजर ।
रक्त प्यासा समर ।।४२।।
चाहूँ मैं तेरी एक नजर ।
चले चाले अपर ।।४३।।
चाहूँ मैं तेरी एक नजर ।
घोर भौंर कहर ।।४४।।
चाहूँ मैं तेरी एक नजर ।
रोग जाँ अपहर ।।४५।।
चाहूँ मैं तेरी एक नजर ।
जादू टोना मन्तर ।।४६।।
चाहूँ मैं तेरी एक नजर ।
करतार निडर ।।४७।।
चाहूँ मैं तेरी एक नजर ।
मान-तुंग प्रवर ।।४८।।
भक्ता-मर-स्तोत्र ११२
हाई…को ?
तेरा रहमो-करम ।
ओ ! अहिंसा ‘सा न’ धरम ।।१।।
तेरा रहमो-करम ।
इन्द्र आंसू ख़ुशी दृग् नम ।।२।।
तेरा रहमो-करम ।
हाथ नन्हें चाँद पूनम ।।३।।
तेरा रहमो-करम ।
कुछ भी न रहे अगम ।।४।।
तेरा रहमो-करम ।
भरने था मैं लगा दम ।।५।।
तेरा रहमो-करम ।
हवा पाछी ओ ! हमदम ।।६।।
तेरा रहमो-करम ।
मुझे न छू पा रहे गम ।।७।।
तेरा रहमो-करम ।
‘के कागजी नाँव न नम ।।८।।
तेरा रहमो-करम ।
कथा हर-व्यथा-जनम ।।९।।
तेरा रहमो-करम ।
पारस से बढ़ दो कदम ।।१०।।
तेरा रहमो-करम ।
खोज आँखों की जो खतम ।।११।।
तेरा रहमो-करम ।
कृति माटी और सुरम ।।१२।।
तेरा रहमो-करम ।
हुआ चाँद उड़ना कम ।।१३।।
तेरा रहमो-करम ।
किया गुण जमीं एक खम् ।।१४।।
तेरा रहमो-करम ।
पा दिशा दृग् अप्सरा नम ।।१५।।
तेरा रहमो-करम ।
तले दीया अंधेरा गुम ।।१६।।
तेरा रहमो-करम ।
नूर पाया सूर चरम ।।१७।।
तेरा रहमो-करम ।
लगा माथे चाँद कुंकुम ।।१८।।
तेरा रहमो-करम ।
बोझ चाँद-सूरज कम ।।१९।।
तेरा रहमो-करम ।
वंश अंश न मिथ्यातम ।।२०।।
तेरा रहमो-करम ।
भरमा न पाये भरम ।।२१।।
तेरा रहमो-करम ।
सार्थक माँ लेना जनम ।।२२।।
तेरा रहमो-करम ।
मरहम ‘कि मर…हम ।।२३।।
तेरा रहमो-करम ।
एक शंभु, विष्णु, ब्रिहम ।।२४।।
तेरा रहमो-करम ।
बुद्ध सिद्ध, पुरुषोत्तम ।।२५।।
तेरा रहमो-करम ।
ओम् कहो या गुरु परम ।।२६।।
तेरा रहमो-करम ।
दोष और जो हमदम ।।२७।।
तेरा रहमो-करम ।
गुम शोक अशोक द्रुम ।।२८।।
तेरा रहमो-करम ।
सिंहासन भा अनुपम ।।२९।।
तेरा रहमो-करम ।
चँवर छू जमीं, छुयें खम् ।।३०।।
तेरा रहमो-करम ।
छत्र और चाँद पूनम ।।३१।।
तेरा रहमो-करम ।
हुई औरों की सरगम ।।३२।।
तेरा रहमो-करम ।
भू पाये छू स्वर्ग कुसुम ।।३३।।
तेरा रहमो-करम ।
भामण्डल जोड़ जनम ।।३४।।
तेरा रहमो-करम ।
तींजी दृग् वो भी कुछ नम ।।३५।।
तेरा रहमो-करम ।
पाई जमीं स्वर्ग पदम ।।३६।।
तेरा रहमो-करम ।
सिंह मृग शरण-सम ।।३७।।
तेरा रहमो-करम ।
हाथी साथी ‘के हमदम ।।३८।।
तेरा रहमो-करम ।
ढ़ेर क्रूर शेर सितम ।।३९।।
तेरा रहमो-करम ।
हुये शोले ‘कि शबनम ।।४०।।
तेरा रहमो-करम ।
जाये अही दूर ही थम ।।४१।।
तेरा रहमो-करम ।
छोड़ रास्ता हो खड़ा यम ।।४२।।
तेरा रहमो-करम ।
बाल भी न मेरा बंकिम ।।४३।।
तेरा रहमो-करम ।
मंजिल ‘कि चूमे कदम ।।४४।।
तेरा रहमो-करम ।
उभरे ‘कि भरें जखम ।।४५।।
तेरा रहमो-करम ।
जादू टोने टोटके गुम ।।४६।।
तेरा रहमो-करम ।
भागे भय दबा के दुम ।।४७।।
तेरा रहमो-करम ।
लहराया ‘भी’ परचम ।।४८।।
भक्ता-मर-स्तोत्र ११३
हाई…को ?
तेरी शरण में आया ।
युगादि माँ आँचल छाया ।।१।।
तेरी शरण में आया ।
पार इन्द्र सौधर्म पाया ।।२।।
तेरी शरण में आया ।
किसे तूने न अपनाया ।।३।।
तेरी शरण में आया ।
जश ‘गा न’ द्यु-गुरु पाया ।।४।।
तेरी शरण में आया ।
वशी भूत भक्ति धकाया ।।५।।
तेरी शरण में आया ।
मैं धी मन्द स्व-छन्द जाया ।।६।।
तेरी शरण में आया ।
हरतार पापन माया ।।७।।
तेरी शरण में आया ।
तोर जोर बेजोड़ पाया ।।८।।
तेरी शरण में आया ।
व्यथाहारी कथा बताया ।।९।।
तेरी शरण में आया ।
तूने दे के हाथ, उठाया ।१०।।
तेरी शरण में आया ।
दृग्-सहस्र देखे द्यु-राया ।।११।।
तेरी शरण में आया ।
सत्य शिव सुन्दर काया ।।१२।।
तेरी शरण में आया ।
दौड़ ‘मुख’ चाँद छकाया ।।१३।।
तेरी शरण में आया ।
दल-गुण शीर्ष दिखाया ।।१४।।
तेरी शरण में आया ।
जेय नार विभ्रम माया ।१५।।
तेरी शरण में आया ।
‘दिया’ तले तम न छाया ।।१६।।
तेरी शरण में आया ।
भानु, ग्रस राहु न पाया ।।१७।।
तेरी शरण में आया ।
चाँद, झाँप मेघ न पाया ।।१८।।
तेरी शरण में आया ।
तम चन्द भान छकाया ।।१९।।
तेरी शरण में आया ।
ज्ञानी ! सिवा तेरे न पाया ।।२०।।
तेरी शरण में आया ।
कृपा देव सराग माया ।।२१।।
तेरी शरण में आया ।
पुत्र मरु माँ नाभि-राया ।।२२।।
तेरी शरण में आया ।
‘हाथ’ पद मृत्युंजै आया ।।२३।।
तेरी शरण में आया ।
शम्भु जिष्णु विष्णु अजाया ।।२४।।
तेरी शरण में आया ।
बुद्ध तू ही रुद्र कहाया ।।२५।।
तेरी शरण में आया ।
आगम श्री जी गुरु-राया ।।२६।।
तेरी शरण में आया ।
‘दोर’ और गया लौटाया ।।२७।।
तेरी शरण में आया ।
नाम सार्थ अ-शोक पाया ।।२८।।
तेरी शरण में आया ।
सिंहासन रंग जमाया ।।२९।।
तेरी शरण में आया ।
नभ दल चँवर छाया ।।३०।।
तेरी शरण में आया ।
नभ दल-छत्र दिखाया ।।३१।।
तेरी शरण में आया ।
तूर भूर प्रशंसा पाया ।।३२।।
तेरी शरण में आया ।
झिर पुष्प पानी सी, माया ।।३३।।
तेरी शरण में आया ।
भामण्डल किसे न भाया ।।३४।।
तेरी शरण में आया ।
बैन नैन भी’तर पाया ।।३५।।
तेरी शरण में आया ।
दल-देव पद्म भी लाया ।।३६।।
तेरी शरण में आया ।
मही न वो महिमा पाया ।।३७।।
तेरी शरण में आया ।
पीछे हाथी उत्पाती धाया ।।३८।।
तेरी शरण में आया ।
पंजे काल सींह दबाया ।।३९।।
तेरी शरण में आया ।
दौ-अगन वन जलाया ।।४०।।
तेरी शरण में आया ।
काल व्याल कराल साया ।।४१।।
तेरी शरण में आया ।
‘सैन’, नैन डबडबाया ।।४२।।
तेरी शरण में आया
पर चक्र व्यूह रचाया ।।४३।।
तेरी शरण में आया ।
बड़वाग्नि सिन्धु ससाया ।।४४।।
तेरी शरण में आया ।
आ रोगों ने जाल बिछाया ।।४५।।
तेरी शरण में आया ।
गई छिल साँकल काया ।।४६।।
तेरी शरण में आया ।
परचम भै लहराया ।।४७।।
तेरी शरण में आया ।
मुनि मान तुंग पठाया ।।४८।।
भक्ता-मर-स्तोत्र ११४
हाई…को ?
भक्तामर ये स्तोत्र महान ।
गुण ‘आदि’ बखान ।।१।।
भक्तामर ये स्तोत्र महान ।
गूँजे पाठ विमान ।।२।।
भक्तामर ये स्तोत्र महान ।
जहाँ न छाप आन ।।३।।
भक्तामर ये स्तोत्र महान ।
हाँप ‘नाप इन्’-सान ।।४।।
भक्तामर ये स्तोत्र महान ।
भक्ति भी’तर गान ।।५।।
भक्तामर ये स्तोत्र महान ।
भक्त ‘दूज’ श्रद्धान ।।६।।
भक्तामर ये स्तोत्र महान ।
पाठ पाप ‘औ-सान’ ।।७।।
भक्तामर ये स्तोत्र महान ।
मंशा-पूर्ण सुजान ।।८।।
भक्तामर ये स्तोत्र महान ।
व्यथा-हार, कहान ।।९।।
भक्तामर ये स्तोत्र महान ।
बढ़ माया-पाषाण ।।१०।।
भक्तामर ये स्तोत्र महान ।
चाहें सुनना कान ।।११।।
भक्तामर ये स्तोत्र महान ।
दैव-वश निर्माण ।।१२।।
भक्तामर ये स्तोत्र महान ।
मुख-चाँद जहान ।।१३।।
भक्तामर ये स्तोत्र महान ।
जहाँ दु-गुण-गान ।।१४।।
भक्तामर ये स्तोत्र महान ।
उवाच् पुहुप बाण ।।१५।।
भक्तामर ये स्तोत्र महान ।
दीप दीप्त जहान ।।१६।।
भक्तामर ये स्तोत्र महान ।
शून आताप भान ।।१७।।
भक्तामर ये स्तोत्र महान ।
चाँद दूज ‘प्रमाण’ ।।१८।।
भक्तामर ये स्तोत्र महान ।
और चंद्रमा भान ।।१९।।
भक्तामर ये स्तोत्र महान ।
तान केवल ज्ञान ।।२०।।
भक्तामर ये स्तोत्र महान ।
और के-वल ज्ञान ।।२१।।
भक्तामर ये स्तोत्र महान ।
मात ‘अ-पूर्व’ भान ।।२२।।
भक्तामर ये स्तोत्र महान ।
मृत्युंजै मंत्र धीमान् ।।२३।।
भक्तामर ये स्तोत्र महान ।
धाम-शिव सो-पान ।।२४।।
भक्तामर ये स्तोत्र महान ।
आन-बान औ’-शान’ ।।२५।।
भक्तामर ये स्तोत्र महान ।
सम्यक् दृग्-वृत-ज्ञान ।।२६।।
भक्तामर ये स्तोत्र महान ।
गुण-शगुन खान ।।२७।।
भक्तामर ये स्तोत्र महान ।
तर अशोक गान ।।२८।।
भक्तामर ये स्तोत्र महान ।
पीठ मानिक वान ।।२९।।
भक्तामर ये स्तोत्र महान ।
देव चामर-वान ।।३०।।
भक्तामर ये स्तोत्र महान ।
छत्र झालर ‘वान’ ।।३१।।
भक्तामर ये स्तोत्र महान ।
तुरि पुरी आह्वान ।।३२।।
भक्तामर ये स्तोत्र महान ।
पुष्प आकाश वान ।।३३।।
भक्तामर ये स्तोत्र महान ।
वृत्त-भा अस-मान ।।३४।।
भक्तामर ये स्तोत्र महान ।
अर भी’तर वाण ।।३५।।
भक्तामर ये स्तोत्र महान ।
पन्थ द्यु-पद्म-वान ।।३६।।
भक्तामर ये स्तोत्र महान ।
धर्म दया गुमान ।।३७।।
भक्तामर ये स्तोत्र महान ।
गज-भै पवमान ।।३८।।
भक्तामर ये स्तोत्र महान ।
सिंह माँद प्रस्थान ।।३९।।
भक्तामर ये स्तोत्र महान ।
पानी लौं दौ औसान ।।४०।।
भक्तामर ये स्तोत्र महान ।
बाँमी नाग प्रयाण ।।४१।।
भक्तामर ये स्तोत्र महान ।
युद्ध दे ‘अर’-मान ।।४२।।
भक्तामर ये स्तोत्र महान ।
हाथ जै वरदान ।।४३।।
भक्तामर ये स्तोत्र महान ।
पार भौ जल-यान ।।४४।।
भक्तामर ये स्तोत्र महान ।
दवा’ई राम बाण ।।४५।।
भक्तामर ये स्तोत्र महान ।
टूक दो पाश-बाण ।।४६।।
भक्तामर ये स्तोत्र महान ।
रक्षा कवच श्रीमान् ।।४७।।
भक्तामर ये स्तोत्र महान ।
मान तुंग निर्मान ।।४८।।
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