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जवाब लाजवाब आचार्य श्री जी

जवाब लाजवाब -434

By मुनि श्री निराकुल सागर जी महाराज 

सवाल
आचार्य भगवन् !
यह भाग्य क्या चीज़ है
किसी के पास तो
भाग भाग के आता है
और किसी के पास से
भाग के दिखाता है
हम दोनों अच्छे दोस्त हैं
एक ही कंपनी में काम करते हैं
एक सा काम करने के बाद भी
हमारे वॉस
मुझसे कुछ उखड़े उखड़े रहते हैं
मेरे मित्र से
खूब गोट बैठती है उनकी
भगवान् यह सब
पुण्य पाप का खेल है
ऐसा कहती मिलती है दुनिया
यह बात कहाँ तक सही है
नमोऽस्तु भगवन्,
नमोऽस्तु भगवन्,
नमोऽस्तु भगवन्,

जवाब…
लाजवाब

सुनिये
आप तो दोस्त की बात करते हैं
मैं दो जुड़वा बहनों की कथा कहता हूँ
जिसमें
साफ़ साफ़ नज़र आयेगा
‘के जमाना बन्दरबाँट में खूब रस लेता है
देखिये यहाँ
जो यह
सासु माँ
स… आँशू माँ
है भी नम आँखें रखने वाली
और नहीं भी है

सासु में विसर्ग रखते ही
फिर विसर्ग अलग करते ही
हलन्त ‘र्’ आ कहता है
सा…सूरमा
जिसकी आँखों से
ज्वाला निकलती है वह

कैसे ?
सो देखिये
एक सासू माँ की दो बहुएँ थी,
पहली ‘लाडो’
जब वह बीमार हुई
तो माँ जी ने पलकों पे ही
न लिटाये रक्खा
पलकों पे भी उठाए रक्खा
मानो
अदा कर रही हो
कोई पुराना कर्ज

और दूसरी बहु लाजो,
जब यह बीमार हुई
तो माँ जी ने पापिनी समझ
जवाँ जुबाँ ताने ही नहीं बरसाये
यहाँ वहाँ खूब गाल बजाये
जाने अदा कर रही
कौन सा फर्ज
सब जमा…ना

वैसे हम बहु दूसरी वाली
पहली तो पुण्यशाली
रखिये सबर
है उसे सबकी खबर
ओम् नमः
सबसे क्षमा
सबको क्षमा
ओम् नमः
ओम् नमः

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