सवाल
आचार्य भगवन् !
‘एक पंथ दो काज’ क्या है यह भला
नमोऽस्तु भगवन्,
नमोऽस्तु भगवन्,
नमोऽस्तु भगवन्,
जवाब…
लाजवाब
अद्भुत कला है यह
कहाँ जाल दिखता
चिड़िया माँ को
सिर्फ और सिर्फ अपना लाल दिखता
माने
चिड़िया माँ…ने
अपने बच्चे को ‘किस क्या’ किया
मुँह में ‘दबा’
हाँ हाँ… संजीवनी लाई थी जो दाने
उन्हें धीरे से, न जाने
कब खिसका दिया
एक पंथ दो काज
बस तभी से लगी दुनिया गुनगुनाने
न सिर्फ सेक पा रहे अण्डे
जीवन रेख पा रहे
सुनते भगवान् देते जीवन रेख
या तो झूठ है
या फिर माँ भगवान् का रूप है
ओम् नमः
सबसे क्षमा
सबको क्षमा
ओम् नमः
ओम् नमः
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