सवाल
आचार्य भगवन् !
चेहरे पर चेहरे लगाये रखता
दुनिया ऐसा कहकर उलाहना देती है
वहीं आप प्रशंसा के पुल
बांधते बांधते नहीं रखते चन्द्रमा के
सो सोच क्या रखते हैं आप
नमोऽस्तु भगवन्,
नमोऽस्तु भगवन्,
नमोऽस्तु भगवन्,
जवाब…
लाजवाब
चन्द्रमा ने पहली कला छुपाई नहीं
यह सनातन संस्कृति है
यहाँ गिनती दो से शुरु होती है
पहला तो
अकेला जो
वो आतम राम है
सो, की मनमाने पन की इति है
और भाई संगत भी
माँ बनी रहती उसकी
यहाँ तक ‘कि
नाम मे भी संग-ही
ओम् नमः
सबसे क्षमा
सबको क्षमा
ओम् नमः
ओम् नमः
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