सवाल
आचार्य भगवन् !
मेरा मन किसी का बुरा करना तो दूर रहा,
बुरा सोचना भी नहीं सीखा है
सब आपका ही आशीर्वाद है
लेकिन लोग बाग जब तब मेरे साथ बुरा करने से नहीं चूकते हैं
नमोऽस्तु भगवन्,
नमोऽस्तु भगवन्,
नमोऽस्तु भगवन्,
जवाब…
लाजवाब
किसी ने
अपने साथ
बुरा किया
लिया क्या
दिया ही
जो उसके पास था
सुना माँ से था
व्यवहार जो जितना गया लिखा के
लौटाते
उसमें कुछ और मिला के
चलो छोटा,
करके बड़ा
‘ऊ’
दे आयें
न माँ को भुलायें
ढ़ोक अपार…
लोक व्यवहार
ओम् नमः
सबसे क्षमा
सबको क्षमा
ओम् नमः
ओम् नमः
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