सवाल
आचार्य भगवन् !
‘दो’ ऐसा अमंगल सूचक शब्द नहीं बोलते हैं
सहजो-निराकुल
नमोऽस्तु भगवन्,
नमोऽस्तु भगवन्,
नमोऽस्तु भगवन्,
जवाब…
लाजवाब
छोटी से छोटी मदद खातिर हाथ फैलाना
बड़े से बड़ा अदद पा सिर कम्मर का झुक जाना फिर स्वप्न ‘मानो’ सीना तानकर,
सिर उठाकर चल पाना
विक्ट्री स्टेण्ड पे होने खड़े
रात दिन एक करना पड़े
बिक्री स्टेण्ड पे होने खड़े
बस चूड़ी पहिनना पड़े
कोई थी लेता खरीद
माटी मोल ही बिकना है
घाटी मोड़ भी पड़ना है
ओ ! पैरों में नाल ठोक लो
रुकना,
थकना मना है
जमीन और आसमान एक करना है
यदि विक्ट्री स्टेण्ड पे चढ़ना है
ओम् नमः
सबसे क्षमा
सबको क्षमा
ओम् नमः
ओम् नमः
Sharing is caring!