सवाल
आचार्य भगवन् !
‘एक गीत’
थे यहीं तो, अभी तुम
जाने, कहाँ हुये गुम
दी लगने भी न खबर
चल दिये हो किस डगर
गुमसुम-गुमसुम
जाने कहाँ हुये गुम
थे यहीं तो अभी तुम
जाने कहाँ हुये गुम
खोजूँ तो खोजूँ मैं कहाँ
जाने, हो पहुँचे किस जहाँ
छोड़ के कबीला ये कुटुम
जाने कहाँ हुये ही गुम
थे यहीं तो अभी तुम
जाने कहाँ हुये गुम
जान से प्यारे तुम मुझे
बिन तिरे जिऊँ तो अब कैसे
गुलाल, रोली ओ ! कुमकुम
जाने कहाँ हुये गुम
थे यहीं तो अभी तुम
जाने कहाँ हुये गम
रात भर से ये पंक्तियाँ रहकर याद आ रही हैं
मेरा जिगरी दोस्त बिना बताये मुझे,
इस दुनिया को छोड़कर चला गया है
मैं क्या करूँ
नमोऽस्तु भगवन्,
नमोऽस्तु भगवन्,
नमोऽस्तु भगवन्,
जवाब…
लाजवाब
सुनिए,
आपने कविता में प्रश्न किया,
मैं भी कविता में उत्तर देता हूँ
टूट कर तारा
आईना दिखलाता
आईना दिखलाता
फूल मुरझाता
सँभल सको तो सँभलो
अभी समय कालिख हर लो
मेघ फिर जाना हैं विघट
काया ये काँची माटी का घट
दूध उफनाता
आईना दिखलाता
टूट कर तारा
आईना दिखलाता
आईना दिखलाता
फूल मुरझाता
सँभल सको तो सँभलो
अभी समय कालिख हर लो
है कितनी जल-बुद-बुद की उमर
काया ये काँच सी जाती बिखर
पाँखी उड़ प्रातः
आईना दिखलाता
टूट कर तारा
आईना दिखलाता
आईना दिखलाता
फूल मुरझाता
सँभल सको तो सँभलो
अभी समय कालिख हर लो
बाद पल गुल बिजली की चमक
काया ये जाल मकड़ी लिये बनक
यम मुस्कुराता
आईना दिखलाता
टूट कर तारा
आईना दिखलाता
आईना दिखलाता
फूल मुरझाता
सँभल सको तो सँभलो
अभी समय कालिख हर लो
सच…
बचना मुश्किल नागन
बलजोर मोर कानन
आँखे अंगारा
पंजे विकराला
दिल मोर जोड़ पाहन
बचना मुश्किल नागन
बलजोर मोर कानन
हाँ ! चोंच नुकीली
हा ! सोच चुटीली
मन मोर होड़ रावन
बचना मुश्किल नागन
बलजोर मोर कानन
आसमाँ केत ’रे
दूसरे पैंतरे
यम तोड़, दोर-माहन
बचना मुश्किल नागन
बलजोर मोर कानन
ओम् नमः
सबसे क्षमा
सबको क्षमा
ओम् नमः
ओम् नमः
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