सवाल
आचार्य भगवन् !
देर क्यों लगती है
काम जल्दी क्यों नहीं बनते हैं मेरे
नमोऽस्तु भगवन्,
नमोऽस्तु भगवन्,
नमोऽस्तु भगवन्,
जवाब…
लाजवाब
अकेले में कहा गुरु जी से,
चेले ने,
क्यों नहीं प्राप्त मुझे
ज्ञान हो रहा
इतना भी कम नहीं
खो अज्ञान तो रहा है
गुरु जी ने कहा
एक क्षण…
एक कण
बालू घड़ी को खाली होने में,
लगने वाला पूरा का पूरा एक दिन
वैसे
नादानिंयाँ नींव के वे पत्थर है
जिन पर कामयाबी का
सुगढ़ महल खड़ा होता है
देर लग रही
यानी
ज्ञानी !
हम सजग नहीं,
हाथ हमारे न लग सका
अभी सलीका सही
यानि ‘कि
वह जो लिक्खा ग्रन्थों में,
निर्ग्रन्थों ने
वरना चाबी लगते ही,
ताला खुल पड़ता है
खुल जा सिम-सिम न कहना पड़ता है
ओम् नमः
सबसे क्षमा
सबको क्षमा
ओम् नमः
ओम् नमः
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