सवाल
आचार्य भगवन् !
आप कहते हे सहजो निराकुल
सभा में पीछे जा करके बैठते हैं,
शर्ट के तीसरे बटन की तरफ
नजर रखते हैं,
पर आजकल,
इन सब बातों का जमाना नहीं हैं
नमोऽस्तु भगवन्,
नमोऽस्तु भगवन्,
नमोऽस्तु भगवन्,
जवाब…
लाजवाब
फायदे के साथ-साथ,
आगे चलने के कई घाटे हैं
फूलों की खुशबू तो,
जा दूर तलक, दूरी पाटती है
पर आगे-आगे बढ़ने वाले कदमों को
चुपके
चोरी-छुपके
दे जाते चुभन काँटे हैं
वैसे हम रखते हैं यदि
कदम आहिस्ता-आहिस्ता
तो काँटे भी
देते जाते है रास्ता
और सुनो,
पीछे बैठने के साथ-साथ, मैंने ये भी तो कहा है
‘के चूँकि सहज निराकुल जा गहरे पैठते हैं
इसलिये देर पीछे न बैठे रहते है
आप सूरज
सभासद सभी सूरजमुखी बन चलते हैं
सो देखो,
ऊपर जोरदार
भँवर
नीचे तोड़दार
जा सहज नीचे
जो तलवार खींचे
जाये वो जीत
ओ ! मीत
ओम् नमः
सबसे क्षमा
सबको क्षमा
ओम् नमः
ओम् नमः
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