सवाल
आचार्य भगवन् !
सच्ची-मुच्ची
पेट अपना दरद दे तो
मन, दवा बवा
कर हवा
बस दबा लेता है
और झुठ्ठी-मुट्ठी भी
निजी अपने का दरद दे तो
न सिरफ दवा देता है
बल्कि करने लगता है प्रार्थना
‘के भगवान् !
करो मदद…
जगह
इसकी
लिख दो नामे, मेरे ये दरद
कविता यह क्या कहती है
नमोऽस्तु भगवन्,
नमोऽस्तु भगवन्,
नमोऽस्तु भगवन्,
जवाब…
लाजवाब
यही तो माया है
तभी तो सन्त निर्मोह
वे भी कुछ-कुछ ऐसा ही करते हैं
बस अपने निजी की जगह
जिस किसी को रखते हैं
‘के सच्ची-मुच्ची
पेट अपना दरद दे तो
मन, दवा बवा
कर हवा
बस दबा लेता है
और झुठ्ठी-मुट्ठी भी
जिस किसी का दरद दे तो
न सिरफ दवा देता है
बल्कि करने लगता है प्रार्थना
‘के भगवान् !
करो मदद…
जगह
इसकी
लिख दो नामे, मेरे ये दरद
सच
Li’f’e Li’n’e और कुछ ना
F फॉर फारगेट
N फॉर नॉट हेट
क्या सुना ?
हाँ… हाँ…
और तो बाकी के एक जैसे अल्फाबेट
सचमुच
मुनि म… हाँ… राज
हाईकू
सच लेते ही शरण जैनागम की,
जै न गम की
ओम् नमः
सबसे क्षमा
सबको क्षमा
ओम् नमः
ओम् नमः
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