सवाल
आचार्य भगवन् !
जैनागम में पात्रों के
लिये ही दान देने की बात कही है सो
क्या विशेष कारण है
नमोऽस्तु भगवन्,
नमोऽस्तु भगवन्,
नमोऽस्तु भगवन्,
जवाब…
लाजवाब
‘दान’
आ की मात्रा लगाई
‘कि पहला दान आया आहार
बाद के दान की खातिर
पलटाये आखर
बा…द
द…वा
यानी,
दा की मात्रा हटाई
द मतलब दवा
दूसरा दान आया औषधी
और ‘न’ यानी निवास
अर्थात तीसरा दान आवास
अब
दाना यानी अन्न
चूँकि ग्यारहवाँ प्राण
सो अभय नाम
चौथा दान
‘रे समझे कुछ ना…दाँ
दा…ना
ऐसा वैसा नहीं
जायें जिसे पा…तर
पातर
यानी पात्र
मात्र
डाला जिसमें
ठहर सकता
और तो रिसता
यानि ‘कि दान
सिंहनी दूध समान
ओम् नमः
सबसे क्षमा
सबको क्षमा
ओम् नमः
ओम् नमः
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