सवाल
आचार्य भगवन् !
सबसे ज्यादा
आज-कल नादां
माँ-पापा का टेटू
हाथ में गुदवाते हैं
मैनें अपने बच्चे से ही पूछा,
तो उसने कहा
हमारे हाथों को आपके साथ की,
आदत ही नहीं,
है जरूरत भी, पापा…
मेरे भगवान् !
बच्चे मेरे, रास्ते सही तो चल रहे ना,
आप तो अन्तर्यामी हैं,
दिव्य ज्ञान से बतलाईये ना स्वामिन् !
नमोऽस्तु भगवन्,
नमोऽस्तु भगवन्,
नमोऽस्तु भगवन्,
जवाब…
लाजवाब
अच्छी कविता है
क…बीता आप के साथ चरितार्थ सा करती है
‘के सबसे ज्यादा
आज-कल नादां
माँ-पापा का टेटू
हाथ में गुदवाते हैं
‘के बतलाते हैं,
हमारे हाथों को आपके साथ की,
आदत ही नहीं,
है जरूरत भी,
बस मैं तो यही कहूँगा ‘कि
जब मम्मी पापा को जरूरत हो,
हमारे साथ की
तो
खींच मत लेना हाथ ‘जी
कल…
माँ पापा का हाथ
अपने हाथ में रखना
वरना
मम्मी-पापा का टेटू
हाथ में रखना
दिखावा
होगा
नकल
ओम् नमः
सबसे क्षमा
सबको क्षमा
ओम् नमः
ओम् नमः
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