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जवाब लाजवाब आचार्य श्री जी

जवाब लाजवाब -142

By मुनि श्री निराकुल सागर जी महाराज 

सवाल
आचार्य भगवन् !
आपको अहम् सपने में भी कभी छू पाया होगा,
मुझे हो क्या इस उस दोंनो जहां में,
किसी भी शख्स को,
इस बात पर विश्वास नहीं होगा
तो भगवन् !
सच में,
क्या आपने ‘मैं’ को जीत लिया है ?
नमोऽस्तु भगवन्,
नमोऽस्तु भगवन्,
नमोऽस्तु भगवन्,

जवाब…
लाजवाब
ऐसा वैसा नहीं
इतर शब्द अर
वर्णमाला अ… र, ल, व उष्मा
लव ‘अर’ यानि ‘कि कुश
सो अर की जगह कुश रख करके बना
कुश…ल, वा…उ समा
अर्थात् कुुशल और वायु सा निस्संग
जो वो अरहम
हाँ…हाँ…
पहुँचे कहाँ
तलक वहाँ,
हम अभी
अटके ‘अ’ पर ही
लटके अधर ही
प्रश्नवाचक चिह्न से
प्रश्न जो उठते रहते हैँ, तरंग क्रम-से मन में
सहज….
मेरे भगवान् से मेरी, यही अरज
कभी अनुत्तर बनें हम भी जीवन में
ओम् नमः
सबसे क्षमा
सबको क्षमा
ओम् नमः
ओम् नमः

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