सवाल
आचार्य भगवन् !
मूकमाटी में सेठ जी का सेवक,
मटकी की जब परीक्षा लेता है
तब मटकी से स्वर निकलता है
‘ता धिन तिन धा’-‘ता धिन तिन धा…
चेेतन भिन्ना, वेतन भिन्ना’
और बड़ा रोचक प्रसंग है
भगवन् !
संगीत आपने कहाँ पर सीखा
बड़ा तलस्पर्शी ज्ञान रखते हैं आप स्वरों का ?
नमोऽस्तु भगवन्,
नमोऽस्तु भगवन्,
नमोऽस्तु भगवन्,
जवाब…
लाजवाब
इतिहास बताता है,
दिगम्बर सन्त, संगीत सद्संगत से
आप आप ही सीख जाता है
ठण्डी के समय शीतल पवन की साँय-साँय
जब चौराहे पर सजग रातरि बिताय
तब यही वह धुन है,
जिसपे मन-मयूरा झुक झूम-झूम जाता है
बरसा के समय,
टप-टप करती पानी की बूँद आय जाय
जब वृक्षों के तले सजग प्रभाती गाय
तब यही वह धुन है,
जिसपे मन मयूरा झुक झूम-झूम जाता है
काली डरावनी लम्बी रातें
देर तलक टकटकी लगा,
आँखों की सूरज से बातें
जितना आसान
गाल बजाना
भाई ! उतना ही मुश्किल करके दिखाना
गरमी के समय वन्य पशुओं की पद चाप
चर-मर करता सूखे पत्तों का आलाप
खड़े-खड़े बल पाय
जब पर्वतों के ऊपर सजग दोपहरी बिताए
तब यही वह धुन है,
जिस पे मन-मयूरा झुक झूम-झूम जाता है
ओम् नमः
सबसे क्षमा
सबको क्षमा
ओम् नमः
ओम् नमः
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