सवाल
आचार्य भगवन् !
आपके बाजोटे पर कभी पेन ‘नहीं’ देखा,
पेंसिल ही दिखी हमेशा,
वो भी सिर पर रबर लगाये हुये,
क्या कोई विशेष बात है, स्वामिन् ?
नमोऽस्तु भगवन्,
नमोऽस्तु भगवन्,
नमोऽस्तु भगवन्,
जवाब…
लाजवाब
देखिये,
ग्राम वासी पेन को
‘पैन’ बोलते
सच्चाई खोलते
यदि पेन से
जाने
अनजाने
लिखते वक्त, कुछ गलत लिखाये
तो वो शिल हो जाये
कुछ कुछ ऐसा ही नाम भले
पर पेंसिल से ‘गलत’ लिखा जाये
तो वो सिल जाये
बस पेंसिल सिर पर हेर
न ‘कि देर-अबेर
सो नाम ‘गलत’
जो सार्थक बनाये
ऐसी रबर, किसे न भाये
ओम् नमः
सबसे क्षमा
सबको क्षमा
ओम् नमः
ओम् नमः
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