सवाल
आचार्य भगवन् !
एक ही आसन से देर तक बैैठे रहते हैं आप,
जब देखो तब लिखते, पढ़ते मिलते हैं आप
सामने श्रावक लोग बैठे ही रहते है,
जैसे हम लोग किसी केमरे के सामने जाते ही सावधान हो जाते है,
वैसी पोजिशन में आपको दिन भर बैठना पड़ता है भगवन् !
पल-पलक कम्मर तो सीधी कर लिया कीजिए
देेर तलक पैर तो फैला लिया कीजिए
भगवन् ! स्वयं के प्रति इतना कठोर व्यवहार
कहाँ तक जायज है
क्षमा कीजिये स्वामिन्
नमोऽस्तु भगवन्,
नमोऽस्तु भगवन्,
नमोऽस्तु भगवन्,
जवाब…
लाजवाब
सुनिए,
कुछ कुछ कहता सा शब्द कम्मर
कम-उमर वाले
जो नाजुक उर वाले
वे करे सीधी
हमें तो गुरुजी ने ‘सिख’…लाई
दूसरी ही विधी
‘के आलथी पालथी तोड़
रिश्ता पद्मासन से जोड़
हाथ पर हाथ
‘रख’
नाक पर आँख
‘रे रीड़ की हड्डी तान
और ले लगा गर्दन आसमान
अब
ज्यादा कुछ न करना
नाम गहरी साँस भरना
जल्द ही मत चुनो
एक बार फिर से सुनो
नाम गा…हरी साँस भरना
दश.…
बस.
ओम् नमः
सबसे क्षमा
सबको क्षमा
ओम् नमः
ओम् नमः
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