सवाल
आचार्य भगवन् !
ऐसा क्या है, इस णमोकार मन्त्र में,
‘के देखा मैनें,
‘थोड़ा-बहुत पूर्व भव का पुण्य रहा होगा मेरा,
आप हमारे गाँव आये हुये थे,
ठण्ड़ी का समय था,
आधी रात गई
आप जैसे ही लेटने लगे,
इस मन्त्र का बिना हिले-डुले पल स्मरण किया
आधी रात रही, आप जैसे ही उठने को हुये,
फिर इसी मन्त्र का जप शुरु कर दिया
भगवन् ! श्वास से ज्यादा बार लेते हैं, आप इसे,
और कोई व्यक्ति यदि,
प्रायश्चित माँगता है तो इसे ही प्राय: करके
थमाते हैं आप
और हाँ…
सामायिक करते समय क्या करूँ ?
ऐसा कोई आसन्न भव्य पूछे,
तो आपका लाजवाब जवाब रहता है
पाँच मालाएँ णमोकार महामन्त्र की,
और अगर पूछते हैं, क्या करें फिर बाद में ?
तो फिरके कर्म-बंध से बच सकने,
मन के भाव संभालने, इसी का मनन,
इसी का अनुचिंतन करने का
आग्रह रहता है आपका,
‘कि लम्हा नहीं,
अरसा नहीं,
एक जमाना भी बीत चले, तो कम है,
णमोकार जापते-जपते,
इन साँसों का घट रीत चले,
यही भावना झलकती हैं आपकी
सो मेरे भगवन् !
इसकी महिमा से अनजान मुझे,
मेरा दृढ़ श्रद्धान इस आद्य मंगल मन्त्र पर तलवार पर चढ़े पानी के जैसी अकाट्य हो सकें,
कृपा करके, अपने मुखारबिन्दु से,
इसके बारे में कुछ अनछुआ
दिल को छू जाये जो,
ऐसा कुछ कहिये
नमोऽस्तु भगवन्,
नमोऽस्तु भगवन्,
नमोऽस्तु भगवन्,
जवाब…
लाजवाब
सुनिये,
बहुत कुछ तो शाब्दिक अर्थ ही कहा रहा है
न…मो…कार
न, यानि ‘कि नहीं
मो, यानि ‘कि मुझसे
कार, यानि ‘कि करते बनेगा
‘महिमा वर्णन करते’
सुनते सखे !
सुर-गुरु थके,
पढ़ा
‘दूसरी कक्षा’
पढ़ाता नमोकार
न…से, निःश्रेयस द्वार
म…से, मोह अपहार
क…से, करुणा अवतार
र…से, रक्षक करतार
महिमा अपरम्पार
नमोकार
भज मन
छिन छिन
न दिन
न रात गिन
भज मन
छिन छिन
नमोकार
सार
समय सार
नमोकार
लगा अश्रु धार
भज मन
छिन छिन
न दिन
न रात गिन
भज मन
छिन छिन
नमोकार
‘के रहा अब तलक वंचित
मैं न रहूँ, वंचित अब किंचित
बहा आँसू खुशी लगातार
भज मन
छिन छिन
न दिन
न रात गिन
भज मन
छिन छिन
नमोकार
ओम् नमः
सबसे क्षमा
सबको क्षमा
ओम् नमः
ओम् नमः
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