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मुनि श्री १०८ अजय सागर जी महाराज

माँ ही प्रथम गुरू

By मुनि श्री निराकुल सागर जी महाराज 

नेताजी सुभाषचंद्र बोस ने कहा है- एक संस्कार वान माँ सौ शिक्षकों से भी श्रेष्ठ है-अर्थात सौ शिक्षक मिलकर जो संस्कार एक बालक को नही दे सकते, वह एक माँ देती है-संस्कार देती है ।
मदालसा का पुत्र जो दीवाल के सहारे चलना सीख रहा था आज तो उसे दीवाल का सहारा था, लेकिन एक दिन स्वयं स्वावलम्बी होकर दूसरो को सहारा बनने वाला था । खुद मुक्‍त हुआ, दूसरो को मुक्‍ति का मार्ग बताया था ।
अपने नन्हे बालक को ॐ कार का, पंच परमेष्ठी का उच्चारण करवाना, सोते समय एवं सुबह उठते समय ९ बार णमोकार मंत्रका पाठ । माता, पिता, बडो के चरण स्पर्श और सोते समय ४ नियम दिलाना / देना हे भगवान सुबह —- बजे तक के लिए ४ नियम लेना हैं –
१) सुबह तक आहार पानी आदि का त्याग २) सुबह तक समस्त प्रकार के आरंभ का त्याग । ३) शरीर बिस्तर पर जो परिग्रह है उसके अलावा समस्त परिग्रह का त्याग ४) लघु शंका दीर्घ शंका, पारिवारिक अस्वस्थता को छोड कर चारो दिशा / विदिशा में आने जाने का त्याग । ये चार नियम लेने से रात में मरण होगा तो अच्छा आयु कर्म का बंध होगा । यदि ८ घंटे का त्याग किया तो महिने में १० उपवास का फल मिलेगा । मदालसा अपने बच्चो (शिशु) को सिखाती थी देव पूजा के लिए अपने साथ मंदिर ले जाती थी ।

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