भक्ता-मर-स्तोत्र ११९
हाई…को ?
इक उठा दो नजर ।
आदि त्राता भव भँवर ।।१।।
इक उठा दो नजर ।
पार ‘अर्णौ-थौ’ पविधर ।।२।।
इक उठा दो नजर ।
प्रभार ‘तौ थौ’ सिर-पर ।।३।।
इक उठा दो नजर ।
द्यु-गुरु ‘थौ दौड़’ बाहर ।।४।।
इक उठा दो नजर ।
थुति आप माप-अम्बर ।।५।।
इक उठा दो नजर ।
जोर तोर भक्ति मुखर ।।६।।
इक उठा दो नजर ।
जाप गिरि पाप वजर ।।७।।
इक उठा दो नजर ।
ए ! करने वाले महर ।।८।।
इक उठा दो नजर ।
दूर थौ, औ’ कथा असर ।।९।।
इक उठा दो नजर ।
औ’ काम गो अकल्पतर ।।१०।।
इक उठा दो नजर ।
दर्शनीय नयन-भर ।।११।।
इक उठा दो नजर ।
दृग्-हर सत्, शिव, सुन्दर ।।१२।।
इक उठा दो नजर ।
‘मुख’ सुर, उरग, नर ।।१३।।
इक उठा दो नजर ।
गुण पार लोक सफर ।।१४।।
इक उठा दो नजर ।
जित चितवन-अप्सर ।।१५।।
इक उठा दो नजर ।
दीया अनबुझ अक्षर ।।१६।।
इक उठा दो नजर ।
सूर दूर राहु-पकर ।।१७।।
इक उठा दो नजर ।
शशि तम विमोह-हर ।।१८।।
इक उठा दो नजर ।
तमहर भानो-चन्दर ।।१९।।
इक उठा दो नजर ।
नीर-क्षीर विवेकधर ।।२०।।
इक उठा दो नजर ।
खत्म खोज परमेश्वर ।।२१।।
इक उठा दो नजर ।
सुर’भी माँ-पुत्र इतर ।।२२।।
इक उठा दो नजर ।
ओ ! अजन्मा अजरामर ।।२३।।
इक उठा दो नजर ।
ब्रह्म हरि, हर, शंकर ।।२४।।
इक उठा दो नजर ।
रुद्र, बुद्ध, विशुद्ध-तर ।।२५।।
इक उठा दो नजर ।
अर्हन्, सिद्ध, पाणि पातर ।।२६।।
इक उठा दो नजर ।
दोष एक न किये घर ।।२७।।
इक उठा दो नजर ।
प्रातिहार्य अशोक तर ।।२८।।
इक उठा दो नजर ।
प्रातिहार्य सिंहासनर ।।२९।।
इक उठा दो नजर ।
प्रातिहार्य अर चँवर ।।३०।।
इक उठा दो नजर ।
प्रातिहार्य त्रय छतर ।।३१।।
इक उठा दो नजर ।
प्रातिहार्य दुन्दुभि स्वर ।।३२।।
इक उठा दो नजर ।
प्रातिहार्य सुमन झर ।।३३।।
इक उठा दो नजर ।
प्रातिहार्य वृत्त-भास्वर ।।३४।।
इक उठा दो नजर ।
प्रातिहार्य स्वर-अखर ।।३५।।
इक उठा दो नजर ।
पद्म स्वर्ण पाँवन तर ।।३६।।
इक उठा दो नजर ।
अनुभूति- विभूति अर ।।३७।।
इक उठा दो नजर ।
पीछे हाथी हाथ धो कर ।।३८।।
इक उठा दो नजर ।
शेर खड़ा आगे आकर ।।३९।।
इक उठा दो नजर ।
बुझे न दौ जल सागर ।।४०।।
इक उठा दो नजर ।
ना-गिन दे…खो अजगर ।।४१।।
इक उठा दो नजर ।
हुई साँझ छिड़ा समर ।।४२।।
इक उठा दो नजर ।
पर चक्र ढ़ाये कहर ।।४३।।
इक उठा दो नजर ।
नदारद तीर ‘मगर’ ।।४४।।
इक उठा दो नजर ।
देह रोगों का बना घर ।।४५।।
इक उठा दो नजर ।
दृग् तरेरे मूठ मन्तर ।।४७।।
इक उठा दो नजर ।
चढ़े भय सिर-ऊपर ।।४७।।
इक उठा दो नजर ।
मान तुङ्ग मुनि प्रवर ।।४८।।
भक्ता-मर-स्तोत्र १२०
हाई…को ?
कृपा कम न तुम्हारी ।
आदि नैय्या पार उतारी ।।१।।
कृपा कम न तुम्हारी ।
ख्यात पाँत मैं पविधारी ।।२।।
कृपा कम न तुम्हारी ।
मति पत राखनहारी ।।३।।
कृपा कम न तुम्हारी ।
माप आप दुनिया हारी ।।४।।
कृपा कम न तुम्हारी ।
दो जहाँ एक माँ बलिहारी ।।५।।
कृपा कम न तुम्हारी ।
धार आखों से रहे जारी ।।६।।
कृपा कम न तुम्हारी ।
दृष्टि पापों पे पड़े भारी ।।७।।
कृपा कम न तुम्हारी ।
अकारण परोपकारी ।।८।।
कृपा कम न तुम्हारी ।
कथा व्यथा हरणहारी ।।९।।
कृपा कम न तुम्हारी ।
‘तेरा, मेरा भी’ बलिहारी ।।१०।।
कृपा कम न तुम्हारी ।
देख छका न दृग् हजारी ।।११।।
कृपा कम न तुम्हारी ।
कद काठी माटी वो न्यारी ।।१२।।
कृपा कम न तुम्हारी ।
जित ‘मुख’ उपमा धारी ।।१३।।
कृपा कम न तुम्हारी ।
गुण जग-मग विहारी ।।१४।।
कृपा कम न तुम्हारी ।
राखी नाक नाकन नारी ।।१५।।
कृपा कम न तुम्हारी ।
दिया तले न अंधियारी ।।१६।।
कृपा कम न तुम्हारी ।
परिणति राहु न कारी ।।१७।।
कृपा कम न तुम्हारी ।
मुख चन्द्र अंधर हारी ।।१८।।
कृपा कम न तुम्हारी ।
दिन रात ‘भी’ उजियारी ।।१९।।
कृपा कम न तुम्हारी ।
वंश बंसी हंसी धी धारी ।।२०।।
कृपा कम न तुम्हारी ।
और और ही रिश्तेदारी ।।२१।।
कृपा कम न तुम्हारी ।
एक लाखों में महतारी ।।२२।।
कृपा कम न तुम्हारी ।
एक मृत्युं जै करतारी ।।२३।।
कृपा कम न तुम्हारी ।
ब्रह्मा, विष्णु, भोला भण्डारी ।।२४।।
कृपा कम न तुम्हारी ।
आशुतोष संतोष धारी ।।२५।।
कृपा कम न तुम्हारी ।
गाँव पाँव पाँव विहारी ।।२६।।
कृपा कम न तुम्हारी ।
शगुन सद् गुण पिटारी ।।२७।।
कृपा कम न तुम्हारी ।
भू अशोक वृक्ष उद्धारी ।।२८।।
कृपा कम न तुम्हारी ।
सिंहासन नयन हारी ।।२९।।
कृपा कम न तुम्हारी ।
चांदी-चांदी चँवर यारी ।।३०।।
कृपा कम न तुम्हारी ।।
रीझी छत्र दुनिया सारी ।।३१।।
कृपा कम न तुम्हारी ।
भेरी फेरी भौ वन हारी ।।३२।।
कृपा कम न तुम्हारी ।
लागी झड़ी द्यु पुष्प भारी ।।३३।।
कृपा कम न तुम्हारी ।
भामण्डल भौ जानकारी ।।३४।।
कृपा कम न तुम्हारी ।
दिव्य ध्वनि मंगल कारी ।।३५।।
कृपा कम न तुम्हारी ।
तर पद पद्म द्यु क्यारी ।।३६।।
कृपा कम न तुम्हारी ।
सभा जात वैर संहारी ।।३७।।
कृपा कम न तुम्हारी ।
प्रीति भीति हाथी संहारी ।।३८।।
कृपा कम न तुम्हारी ।
भक्ति भय सिंह संहारी ।।३९।।
कृपा कम न तुम्हारी ।
लगन भै अगन हारी ।।४०।।
कृपा कम न तुम्हारी ।
जाप साँप भीति संहारी ।।४१।।
कृपा कम न तुम्हारी ।
प्रीत जीत भैंटन हारी ।।४२।।
कृपा कम न तुम्हारी ।
भक्ति जिता दे पारी हारी ।।४३।।
कृपा कम न तुम्हारी ।
भक्ति भीति भौंर संहारी ।।४४।।
कृपा कम न तुम्हारी ।
जाप ताप देह संहारी ।।४५।।
कृपा कम न तुम्हारी ।
जय भय कारा संहारी ।।४६।।
कृपा कम न तुम्हारी ।
प्रीति भीति मेंटन हारी ।।४७।।
कृपा कम न तुम्हारी ।
मुनि मान तुङ्ग आभारी ।।४८।।
भक्ता-मर-स्तोत्र १२१
हाई…को ?
तेरे नाम का असर ।
आदि पार ऊ नार-नर ।।१।।
तेरे नाम का असर ।
सफल ‘तौ थौ’ पविधर ।।२।।
तेरे नाम का असर ।
करने ‘तौ थौ’ मैं तत्पर ।।३।।
तेरे नाम का असर ।
द्यु गुरु से लेता टक्कर ।।४।।
तेरे नाम का असर ।
गुण गाने जो बेसबर ।।५।।
तेरे नाम का असर ।
जुवाँ आप आप मुखर ।।६।।
तेरे नाम का असर ।
चूर चूर पापों का गिर ।।७।।
तेरे नाम का असर ।
बनी नागों की पुष्प लर ।।८।।
तेरे नाम का असर ।
बनी अग्नि लो सरवर ।।९।।
तेरे नाम का असर ।
छू पारस अयस् सुनर ।।१०।।
तेरे नाम का असर ।
दृग् रहे न और ठहर ।।११।।
तेरे नाम का असर ।
परमाणु देह इतर ।।१२।।
तेरे नाम का असर ।
सुर, नर, नाग दृग्-हर ।।१३।।
तेरे नाम का असर ।
लाँघी गुण जेती डगर ।।१४।।
तेरे नाम का असर ।
दृष्टि नाक राखी अप्सर ।।१५।।
तेरे नाम का असर ।
न दीपक तले अंधर ।।१६।।
तेरे नाम का असर ।
भान ज्ञानवान् अपर ।।१७।।
तेरे नाम का असर ।
‘मुख’ शशि ! सुधा आकर ।।१८।।
तेरे नाम का असर ।
चंद्रार्क ! सत् शिव सुन्दर ।।१९।।
तेरे नाम का असर ।
भी’तर ! मैं गया भीतर ।।२०।।
तेरे नाम का असर ।
बर्गला न पाया इतर ।।२१।।
तेरे नाम का असर ।
माई इक जन्म औतर ।।२२।।
तेरे नाम का असर ।
प्यारा यम यम हुनर ।।२३।।
तेरे नाम का असर ।
कतार धी हंस नजर ।।२४।।
तेरे नाम का असर ।
स्वानुभव हमसफर ।।२५।।
तेरे नाम का असर ।
डालता न दुख नजर ।।२६।।
तेरे नाम का असर ।
दूर कोस दोष निकर ।।२७।।
तेरे नाम का असर ।
न नाम ही अशोक तर ।।२८।।
तेरे नाम का असर ।
सिंहासन पूज्य अमर ।।२९।।
तेरे नाम का असर ।
नभ में छा गये चँवर ।।३०।।
तेरे नाम का असर ।
आसमाँ छू गये छतर ।।३१।।
तेरे नाम का असर ।
जग सुने बाजे, ठहर ।।३२।।
तेरे नाम का असर ।
झिर पुष्प पौन इतर ।।३३।।
तेरे नाम का असर ।
भामण्डल भौ भौ खबर ।।३४।।
तेरे नाम का असर ।
सुर्खियों में ओंकार स्वर ।।३५।।
तेरे नाम का असर ।
पाये पद्य स्वर्ण भा अर ।।३६।।
तेरे नाम का असर ।
जात बैर छू भू अम्बर ।।३७।।
तेरे नाम का असर ।
मद हाथी गया उतर ।।३८।।
तेरे नाम का असर ।
दिखा सींह माँद अन्दर ।।३९।।
तेरे नाम का असर ।
छू न पाई दौ तरुवर ।।४०।।
तेरे नाम का असर ।
आ साँप ने चूँसा जहर ।।४१।।
तेरे नाम का असर ।
खेल बच्चों का सा समर ।।४२।।
तेरे नाम का असर ।
भागा पीठ दे चक्र-पर ।।४३।।
तेरे नाम का असर ।
छाँव छाँव नाँव सफर ।।४४।।
तेरे नाम का असर ।
रोग आप ही छू मन्तर ।।४५।।
तेरे नाम का असर ।
बन्धन दो टूक साँकर ।।४६।।
तेरे नाम का असर ।
चारों खाने चित् सातों डर ।।४७।।
तेरे नाम का असर ।
मुनि मान तुङ्ग अमर ।।४८।।
भक्ता-मर-स्तोत्र १२२
हाई…को ?
आप, महिमा जाप अपरम्पार ।
आदि औतार ।।१।।
आप, महिमा जाप अपरम्पार ।
सौधर्म पार ।।२।।
आप, महिमा जाप अपरम्पार ।
‘तौ’ ‘थौ’ प्रभार ।।३।।
आप, महिमा जाप अपरम्पार ।
द्यु -गुरु धार ।।४।।
आप, महिमा जाप अपरम्पार ।
शक्ति न म्हार ।।५।।
आप, महिमा जाप अपरम्पार ।
भक्ति गुहार ।।६।।
आप, महिमा जाप अपरम्पार ।
पाप किनार ।।७।।
आप, महिमा जाप अपरम्पार ।
नागिन हार ।।८।।
आप, महिमा जाप अपरम्पार ।
धार अंगार ।।९।।
आप, महिमा जाप अपरम्पार ।
भक्त उद्धार ।।१०।।
आप, महिमा जाप अपरम्पार ।
हिय दृग् द्वार ।।११।।
आप, महिमा जाप अपरम्पार ।
न्यार श्रृंगार ।।१२।।
आप, महिमा जाप अपरम्पार ।
‘मुख’ संसार ।।१३।।
आप, महिमा जाप अपरम्पार ।
गुण पिटार ।।१४।।
आप, महिमा जाप अपरम्पार ।
जेय दृग् नार ।।१५।।
आप, महिमा जाप अपरम्पार ।
दीप भा न्यार ।।१६।।
आप, महिमा जाप अपरम्पार ।
औ पद्याधार ।।१७।।
आप, महिमा जाप अपरम्पार ।
औ सुधागार ।।१८।।
आप, महिमा जाप अपरम्पार ।
चंदार्क न्यार ।।१९।।
आप, महिमा जाप अपरम्पार ।
एक दृग् धार ।।२०।।
आप, महिमा जाप अपरम्पार ।
‘और’ प्रचार ।।२१।।
आप, महिमा जाप अपरम्पार ।
माँ-पुत्र न्यार ।।२२।।
आप, महिमा जाप अपरम्पार ।
मृत्यु संहार ।।२३।।
आप, महिमा जाप अपरम्पार ।
लक्ष्मी भर्तार ।।२४।।
आप, महिमा जाप अपरम्पार ।
भोला भंडार ।।२५।।
आप, महिमा जाप अपरम्पार ।
पार संसार ।।२६।।
आप, महिमा जाप अपरम्पार ।
दूर विकार ।।२७।।
आप, महिमा जाप अपरम्पार ।
अशोक झार ।।२८।।
आप, महिमा जाप अपरम्पार ।
पीठ दृग् हार ।।२९।।
आप, महिमा जाप अपरम्पार ।
चौंर पर्वार ।।३०।।
आप, महिमा जाप अपरम्पार ।
छत्र दृग् हार ।।३१।।
आप, महिमा जाप अपरम्पार ।
बाजे दिश् चार ।।३२।।
आप, महिमा जाप अपरम्पार ।
पुष्प बौछार ।।३३।।
आप, महिमा जाप अपरम्पार ।
वृत्त-भा-दार ।।३४।।
आप, महिमा जाप अपरम्पार ।
ध्वनि ओंकार ।।३५।।
आप, महिमा जाप अपरम्पार ।
पद्म विहार ।।३६।।
आप, महिमा जाप अपरम्पार ।
सभा उदार ।।३७।।
आप, महिमा जाप अपरम्पार ।
दे खो चिंघाड़ ।।३८।।
आप, महिमा जाप अपरम्पार ।
दे खो दहाड़ ।।३९।।
आप, महिमा जाप अपरम्पार ।
दौ जल धार ।।४०।।
आप, महिमा जाप अपरम्पार ।
नागिन हार ।।४१।।
आप, महिमा जाप अपरम्पार ।
युद्ध जै कार ।।४२।।
आप, महिमा जाप अपरम्पार ।
दुश्मन हार ।।४३।।
आप, महिमा जाप अपरम्पार ।
नौ सिधु पार ।।४४।।
आप, महिमा जाप अपरम्पार ।
रोग निवार ।।४५।।
आप, महिमा जाप अपरम्पार ।
पाश विडार ।।४६।।
आप, महिमा जाप अपरम्पार ।
भै छार छार ।।४७।।
आप, महिमा जाप अपरम्पार ।
भौ सिन्धु पार ।।४८।।
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