भक्ता-मर-स्तोत्र ११५
हाई…को ?
उसे सबकी खबर ।
‘बता दिया’ आदि ‘औतर’ ।।१।।
उसे सबकी खबर ।
पार श्रुत सार अमर ।।२।।
उसे सबकी खबर ।
मीठे-बड़े तोतले स्वर ।।३।।
उसे सबकी खबर ।
सुर गुरु-मान संहर ।।४।।
उसे सबकी खबर ।
भक्ति जगे ‘कि लगे पर ।।५।।
उसे सबकी खबर ।
बिन शक्ति भक्ति मुखर ।।६।।
उसे सबकी खबर ।
गिरि पाप, तो वो वजर ।।७।।
उसे सबकी खबर ।
वो रखे माँ वाली नजर ।।८।।
उसे सबकी खबर ।
कहे कथा पुराण-हर ।।९।।
उसे सबकी खबर ।
वो न बाँटे, मुँ: देखकर ।।१०।।
उसे सबकी खबर ।
वो सत्-शिव और सुन्दर ।।११।।
उसे सबकी खबर ।
रचना वो माटी-इतर ।।१२।।
उसे सबकी खबर ।
वो, जो ‘मुख’ उपमाधर ।।१३।।
उसे सबकी खबर ।
गुण लो स्व-छंद विचर ।।१४।।
उसे सबकी खबर ।
नार-नाक-राख नजर ।।१५।।
उसे सबकी खबर ।
वो, दिया न तले तिमिर ।।१६।।
उसे सबकी खबर ।
वो सूर, औ नूर दृग्-हर ।।१७।।
उसे सबकी खबर ।
वो चाँद न दाग नजर ।।१८।।
उसे सबकी खबर ।
सुधाकर औ दिवाकर ।।१९।।
उसे सबकी खबर ।
वो विवेकी हंस प्रवर ।।२०।।
उसे सबकी खबर ।
वो और के-बल नजर ।।२१।।
उसे सबकी खबर ।
वो अरमाँ पूर्व भास्कर ।।२२।।
उसे सबकी खबर ।
करना सु-मरण भर ।।२३।।
उसे सबकी खबर ।
हरि, ब्रह्म, बुद्ध, शंकर ।।२४।।
उसे सबकी खबर ।
वो विधाता मुक्ति डगर ।।२५।।
उसे सबकी खबर ।
वो दरद-मन्द अपर ।।२६।।
उसे सबकी खबर ।
वो निर्दोष कोष हुनर ।।२७।।
उसे सबकी खबर ।
जा विराजे अशोक तर ।।२८।।
उसे सबकी खबर ।
सिंहासन टिकी नजर ।।२९।।
उसे सबकी खबर ।
सुर्खियों में आये चँवर ।।३०।।
उसे सबकी खबर ।
चार चाँद झोली छतर ।।३१।।
उसे सबकी खबर ।
बाजे गाजे गंभीर स्वर ।।३२।।
उसे सबकी खबर ।
बरसाते पुष्प अमर ।।३३।।
उसे सबकी खबर ।
झाँके वृत्त-भा नारी नर ।।३४।।
उसे सबकी खबर ।
काल-जयी स्वर अखर ।।३५।।
उसे सबकी खबर ।
पद्म शिव सद्य सफर ।।३६।।
उसे सबकी खबर ।
वैरी बैठे वैर विसर ।।३७।।
उसे सबकी खबर ।
निर्जन-प्र-मत्त कुंजर ।।३८।।
उसे सबकी खबर ।
गर्जे सिंह माँद भी’तर ।।३९।।
उसे सबकी खबर ।
‘औ-सान’ दौ हान विगर ।।४०।।
उसे सबकी खबर ।
पवन भुक् नाम न भर ।।४१।।
उसे सबकी खबर ।
हानि बिना खत्म समर ।।४२।।
उसे सबकी खबर ।
दृग् स-तर जानी ‘शतर’ ।।४३।।
उसे सबकी खबर ।
पार यान काँधे लहर ।।४४।।
उसे सबकी खबर ।
झोली वैद्य-रोगी शुकर ।।४५।।
उसे सबकी खबर ।
कोई है तो ‘कारा’ अन्धर ।।४६।।
उसे सबकी खबर ।
भै भागे, ‘कि पड़ी नजर ।।४७।।
उसे सबकी खबर ।
कृति मान तुंग अमर ।।४८।।
भक्ता-मर-स्तोत्र ११६
हाई…को ?
भक्त के वश में भगवान् ।
‘अव-तरे’ छोड़ विमान ।।१।।
भक्त के वश में भगवान् ।
मुश्किलें आप आसान ।।२।।
भक्त के वश में भगवान् ।
चन्दन बाला कल्याण ।।३।।
भक्त के वश में भगवान् ।
चूर द्यु-सूर गुमान ।।४।।
भक्त के वश में भगवान् ।
भक्ति की शक्ति महान ।।५।।
भक्त के वश में भगवान् ।
वशि-भक्ति नव निर्माण ।।६।।
भक्त के वश में भगवान् ।
पाप न नाम-निशान ।।७।।
भक्त के वश में भगवान् ।
नागों का हार, प्रमाण ।।८।।
भक्त के वश में भगवान् ।
विहर पीर कहान ।।९।।
भक्त के वश में भगवान् ।
पूर्ण, ‘कि लो अरमान ।।१०।।
भक्त के वश में भगवान् ।
आँखों ही आँखों की वान ।।११।।
भक्त के वश में भगवान् ।
जी ! और माटी निर्मान ।।१२।।
भक्त के वश में भगवान् ।
उपमा-‘मुख’ जै-गान ।।१३।।
भक्त के वश में भगवान् ।
गुणों ने नापा जहान ।।१४।।
भक्त के वश में भगवान् ।
व्यर्थ दे…खो पुष्प-बाण ।।१५।।
भक्त के वश में भगवान् ।
निर्धूम दीप लौं-वान ।।१६।।
भक्त के वश में भगवान् ।
भास्कर औ तेजो-वान ।।१७।।
भक्त के वश में भगवान् ।
श्री मुख अमृत-वान ।।१८।।
भक्त के वश में भगवान् ।
चंद्रार्क और भा वान ।।१९।।
भक्त के वश में भगवान् ।
मोहन औ’ ‘तोर’ ज्ञान ।।२०।।
भक्त के वश में भगवान् ।
फिर-के औ’ अपध्यान ।।२१।।
भक्त के वश में भगवान् ।
अपूर्व प्रति-माँ भान ।।२२।।
भक्त के वश में भगवान् ।
जै-मृत्युंजै वरदान ।।२३।।
भक्त के वश में भगवान् ।
श्री राम वाक् हनुमान ।।२४।।
भक्त के वश में भगवान् ।
झलका केवल ज्ञान ।।२५।।
भक्त के वश में भगवान् ।
त्राहि माम् शून जुबान ।।२६।।
भक्त के वश में भगवान् ।
होंगे दोष औ’ शान ।।२७।।
भक्त के वश में भगवान् ।
‘तर’ लो विराजे आन ।।२८।।
भक्त के वश में भगवान् ।
पीठिका औ’ आसमान ।।२९।।
भक्त के वश में भगवान् ।
चमर अमर पाण ।।३०।।
भक्त के वश में भगवान् ।
जहान छत्र प्रधान ।।३१।।
भक्त के वश में भगवान् ।
गूँजती भेरी जहान ।।३२।।
भक्त के वश में भगवान् ।
सुमन विहर घ्राण ।।३३।।
भक्त के वश में भगवान् ।
भा-वृत्त भौ-भौ विज्ञान ।।३४।।
भक्त के वश में भगवान् ।
सुर-भी पाई सम्मान ।।३५।।
भक्त के वश में भगवान् ।
रक्खा द्यु पद्मों का मान ।।३६।।
भक्त के वश में भगवान् ।
देशना-धर्म-विधान ।।३७।।
भक्त के वश में भगवान् ।
उत्पात हाथी औ’-सान ।।३८।।
भक्त के वश में भगवान् ।
केशरी माँद प्रयाण ।।३९।।
भक्त के वश में भगवान् ।
बुझे दव-वन-बागान ।।४०।।
भक्त के वश में भगवान् ।
वल्मीक नाग प्रस्थान ।।४१।।
भक्त के वश में भगवान् ।
दे पीठ भागे औ-मान ।।४२।।
भक्त के वश में भगवान् ।
गा जाये शत्रु जै-गान ।।४३।।
भक्त के वश में भगवान् ।
किनारे भौ-जल यान ।।४४।।
भक्त के वश में भगवान् ।
रोग, लें-राह मशान ।।४५।।
भक्त के वश में भगवान् ।
दो टूक पाश-गँठान ।।४६।।
भक्त के वश में भगवान् ।
क्या भय ? भक्त अजान ।।४७।।
भक्त के वश में भगवान् ।
श्री मान तुंग श्रद्धान ।।४८।।
भक्ता-मर-स्तोत्र ११७
हाई…को ?
तुमसे लागी लगन ।
युग आदि अवलम्बन ।।१।।
तुमसे लागी लगन ।
चरण सौ-धर्म शरण ।।२।।
तुमसे लागी लगन ।
बुध-नुत पीठ चरण ।।३।।
तुमसे लागी लगन ।
अगम द्यु-गुरु थवन ।।४।।
तुमसे लागी लगन ।
एक भक्त-भक्ति रमण ।।५।।
तुमसे लागी लगन ।
ठौर सुधी धाम हँसन ।।६।।
तुमसे लागी लगन ।
पाप मेघ-हारी पवन ।।७।।
तुमसे लागी लगन ।
छू चरण धूल कंचन ।।८।।
तुमसे लागी लगन ।
कथा-मात्र व्यथा हरण ।।९।।
तुमसे लागी लगन ।
बढ़ ‘कि पा-रस रतन ।।१०।।
तुमसे लागी लगन ।
मन अपहारी नयन ।।११।।
तुमसे लागी लगन ।
माटी-कण रचना अन ।।१२।।
तुमसे लागी लगन ।
धन ! मुख मृग लाँछन ।।१३।।
तुमसे लागी लगन ।
शगुन स्व-छन्द भ्रमण ।।१४।।
तुमसे लागी लगन ।
जित देवी-द्यु चितवन ।।१५।।
तुमसे लागी लगन ।
अनबुझ दीप-भुवन ।।१६ ।।
तुमसे लागी लगन ।
सूर, दूर राहु ग्रहण ।।१७।।
तुमसे लागी लगन ।
चाँद अमा तृप्त नयन ।।१८।।
तुमसे लागी लगन ।
शशि-दिन बिन-तपन ।।१९।।
तुमसे लागी लगन ।
वंश-हंस केत-गगन ।।२०।।
तुमसे लागी लगन ।
खत्म दौड़-‘भाग भगवन्’ ।।२१।।
तुमसे लागी लगन ।
माँ अपूर्व पूर्व तरण ।।२२।।
तुमसे लागी लगन ।
सुमरण आवीची क्षण ।।२३।।
तुमसे लागी लगन ।
ब्रह्मा, हरि-हर मोहन ।।२४।।
तुमसे लागी लगन ।
आ, उ, सा, अ, सि अनगिन ।।२५।।
तुमसे लागी लगन ।
बीड़ा सिर पीड़ा हरण ।।२६।।
तुमसे लागी लगन ।
शोष दोष गुण सदन ।।२७।।
तुमसे लागी लगन ।
माड़ा तर अशोकासन ।।२८।।
तुमसे लागी लगन ।
सुना, छुआ न सिंहासन ।।२९।।
तुमसे लागी लगन ।
चौंर चित्त चोर भुवन ।।३०।।
तुमसे लागी लगन ।
छत्र बड़े, जड़े रतन ।।३१।।
तुमसे लागी लगन ।
गाजे बाजे प्रिय-करण ।।३२।।
तुमसे लागी लगन ।
गन्धोदक वर्षा सुमन ।।३३।।
तुमसे लागी लगन ।
भामण्डल औ’ भौ-दर्शन ।।३४।।
तुमसे लागी लगन ।
धुनि दिव-शिव स्यंदन ।।३५।।
तुमसे लागी लगन ।
अधर द्यु-पद्म गमन ।।३६।।
तुमसे लागी लगन ।
अकारण सम-शरण ।।३७।।
तुमसे लागी लगन ।
भै गज ‘छू’ रज चरण ।।३८।।
तुमसे लागी लगन ।
जपा, दफा भै पंचानन ।।३९।।
तुमसे लागी लगन ।
स्मरण-दव अग्नि-शमन ।।४०।।
तुमसे लागी लगन ।
अनुराग, नाग दमन ।।४१।।
तुमसे लागी लगन ।
नाम काम तमाम रण ।।४२।।
तुमसे लागी लगन ।
पाँव-प्रीत मीत दुश्मन ।।४३।।
तुमसे लागी लगन ।
नाम-रट, तट तरण ।।४४।।
तुमसे लागी लगन ।
ढ़ोक रोग-शोक दफन ।।४५।।
तुमसे लागी लगन ।
वन्दन, दो टूक बन्धन ।।४६।।
तुमसे लागी लगन ।
जै स्मरण, भै विस्मरण ।।४७।।
तुमसे लागी लगन ।
मान तुङ्ग आप मगन ।।४८।।
भक्ता-मर-स्तोत्र ११८
हाई…को ?
नमन करो स्वीकार ।
तीर्थंकर आदि अवतार ।।१।।
नमन करो स्वीकार ।
वन्दनीय नेत्र हजार ।।२।।
नमन करो स्वीकार ।
पत-भक्त राखन-हार ।।३।।
नमन करो स्वीकार ।
गुमान द्यु गुरु संहार ।।४।।
नमन करो स्वीकार ।
तव थव शक्ति न म्हार ।।५।।
नमन करो स्वीकार ।
रही धका भक्ति तुम्हार ।।६।।
नमन करो स्वीकार ।
पाप गिरि वज्र प्रहार ।।७।।
नमन करो स्वीकार ।
जै मेंढ़क, श्रेणिक हार ।।८।।
नमन करो स्वीकार ।
काफी कथा हित उद्धार ।।९।।
नमन करो स्वीकार ।
आगे ‘काम-गो’ पग-चार ।।१०।।
नमन करो स्वीकार ।
मनहार, नयनहार ।।११ ।।
नमन करो स्वीकार ।
मृदा जुदा देह श्रृंगार ।।१२।।
नमन करो स्वीकार ।
मुख शशि-दुख कर्तार ।।१३।।
नमन करो स्वीकार ।
गुण तीन भुवन-पार ।।१४ ।।
नमन करो स्वीकार ।
जित-चितवन द्यु-नार ।।१५।।
नमन करो स्वीकार ।
दीया तले न अंधकार ।।१६।।
नमन करो स्वीकार ।
सूर, दूर राहु पछार ।।१७।।
नमन करो स्वीकार ।
शशि तम-मोह विडार ।।१८।।
नमन करो स्वीकार ।
शशि रवि औ तम-हार ।।१९।।
नमन करो स्वीकार ।
वंश हंस ध्वंस विकार ।।२०।।
नमन करो स्वीकार ।
खोज ठौंर उपसंहार ।।२१।।
नमन करो स्वीकार ।
प्रथम माँ-पुत्र कतार ।।२२।।
नमन करो स्वीकार ।
मृत्यंजय करणहार ।।२३।।
नमन करो स्वीकार ।
शिव, ब्रह्मा, लक्ष्मी भर्तार ।।२४।।
नमन करो स्वीकार ।
अ, सि, आ, उ, सा नवकार ।।२५।।
नमन करो स्वीकार ।
अकारण तारण हार ।।२६।।
नमन करो स्वीकार ।
अनगिन गुण-भंडार ।।२७।।
नमन करो स्वीकार ।
तर-छाँव अशोक झार ।।२८।।
नमन करो स्वीकार ।
दीठ हार पीठ श्रृंगार ।।२९।।
नमन करो स्वीकार ।
चौंर और गौर दृग्-हार ।।३०।।
नमन करो स्वीकार ।
सर छत्र झालर दार ।।३१।।
नमन करो स्वीकार ।
फेरी भेरी द्यु-दिशा चार ।।३२।।
नमन करो स्वीकार ।
झिर पुष्प मन्द बयार ।।३३।।
नमन करो स्वीकार ।
भामण्डल-भौ, चमत्कार ।।३४।।
नमन करो स्वीकार ।
अनक्षरी धुनि ओंकार ।।३५।।
नमन करो स्वीकार ।
पद-तर पद्म विहार ।।३६।।
नमन करो स्वीकार ।
बारा सभा-धर्माधिकार ।।३७।।
नमन करो स्वीकार ।
दय, गय भै छार-छार ।।३८।।
नमन करो स्वीकार ।
जै, क्षय भै सिंह दहाड़ ।।३९।।
नमन करो स्वीकार ।
जै, दावाग्नि भै सर निर्भार ।।४०।।
नमन करो स्वीकार ।
जाप साँप भै यम द्वार ।।४१।।
नमन करो स्वीकार ।
जै, युद्व भै चित् खाने चार ।।४२।।
नमन करो स्वीकार ।
जै, शत्रु भै दर-किनार ।।४३।।
नमन करो स्वीकार ।
भौ जल नौ करण धार ।।४४।।
नमन करो स्वीकार ।
ढ़ोक, रोग-शोक निवार ।।४५।।
नमन करो स्वीकार ।
जै, बन्धन भै तार तार ।।४६।।
नमन करो स्वीकार ।
हर्तार, भै सर्व प्रकार ।।४७।।
नमन करो स्वीकार ।
मुनि मान तुङ्ग आचार ।।४८।।
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