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तीर्थक्षेत्र पूजन

पूजन- बरेली वाले चन्दा बाबा

By मुनि श्री निराकुल सागर जी महाराज 

बरेली वाले
चन्दा बाबा की पूजन

दुनिया से निराले ।
हम सब के रखवाले ।।
बाबा बरेली वाले, चंदा प्रभु भगवान् ।
आओ मैं करता आह्वान ।।
आओ मेरे हृदय पधारो ।
तारे कई, मुझे भी तारो ।।स्थापना।।

भर लाया जल प्रासुक कलशा ।
तन उज्ज्वल मन बगुले जैसा ।।
आओ मेरे हृदय पधारो ।
तारे कई, मुझे भी तारो ।।

चन्दन छोड़े महक चढ़ाता ।
श्वान भाँत मन, मल चख आता ।।
आओ मेरे हृदय पधारो ।
तारे कई, मुझे भी तारो ।।

शाली धान अखण्डित दाने ।
जोड़ रखे मन वैर-पुराने ।।
आओ मेरे हृदय पधारो ।
तारे कई, मुझे भी तारो ।।

वन-नन्दन गुल-गुच्छ अनोखे ।
पलट-पलट दे मन्मथ धोखे ।।
आओ मेरे हृदय पधारो ।
तारे कई, मुझे भी तारो ।।

लाये घृत नैवेद्य नवीने ।
मन दिन-चैन, रैन-सुख छीने ।।
आओ मेरे हृदय पधारो ।
तारे कई, मुझे भी तारो ।।

ज्योत अखण्डित घृत अठपहरी ।
मदिरा मोह चढ़ी मन गहरी ।।
आओ मेरे हृदय पधारो ।
तारे कई, मुझे भी तारो ।।

धूप-दशांग लिये हाथों में ।
ठग ले मन बातों-बातों में ।।
आओ मेरे हृदय पधारो ।
तारे कई, मुझे भी तारो ।।

बड़े सुगंधित ऋतु फल मीठे ।
हा ! मन हारी बाजी जीते ।।
आओ मेरे हृदय पधारो ।
तारे कई, मुझे भी तारो ।।

दरब मिला सब अरघ बनाया ।
मन पापन बातों में आया ।।
आओ मेरे हृदय पधारो ।
तारे कई, मुझे भी तारो ।।

कल्याणक
गर्भ मास छह पूर्व गगन से ।
बरसे रत्न अगम्य वचन से ।।
आओ मेरे हृदय पधारो ।
तारे कई, मुझे भी तारो ।।

सार्थक नाम सहस अख कीना ।
अवसर…न्हवन मेरु गिर दीना ।।
आओ मेरे हृदय पधारो ।
तारे कई, मुझे भी तारो ।।

राज-पाट तज वन आ, ठहरे ।
झट पट उतरे अन्तस् गहरे ।।
आओ मेरे हृदय पधारो ।
तारे कई, मुझे भी तारो ।।

घाति कर्म बल-जोर विदाई ।
हिरण सींह सम शरणा पाई ।।
आओ मेरे हृदय पधारो ।
तारे कई, मुझे भी तारो ।।

जले कर्म सब धू धू करके ।
हुये साँझ से पहले घर के ।।
आओ मेरे हृदय पधारो ।
तारे कई, मुझे भी तारो ।।

जयमाला

दोहा
बढ़ के पारस-रत्न से,
करते आप समान ।
ख्यात बरेली ग्राम के,
चन्दा प्रभु भगवान् ।।

बाबा करुणा के अवतार ।
साँचा इक बाबा दरबार ।।
जय जय कार…
जय जय कार…

चरणों का करता पर्शन ।
हो जाता सम्यक्-दर्शन ।।
मंगल-करण, अमंगल हार ।
जय जय कार…
जय जय कार…

ढ़ारे सर पे जल-धारा ।
दिखे बहिर आ भव-कारा ।।
अभीष्ट पूरन, कष्ट निवार ।
जय जय कार…
जय जय कार…

धार माथ दृग् गन्धोदक ।
कामदेव तन मनमोहक ।।
भक्त सनेही हृदय उदार ।
जय जय कार…
जय जय कार…

लिये दिये-घी आरतियाँ ।
टारत सभी अशुभ गतियाँ ।।
नजर उठाते बेड़ा पार ।
जय जय कार…
जय जय कार…

दी प्रदक्षिणा श्रद्धा से ।
सहज सुलट जाते पाँसे ।।
अगम्य महिमा अपरम्पार ।
जय जय कार…
जय जय कार…

बाबा करुणा के अवतार ।
साँचा इक बाबा दरबार ।।
जय जय कार…
जय जय कार…

दोहा
निभा रहे किरदार माँ,
रखें सभी का ध्यान ।
ख्यात बरेली ग्राम के,
चन्दा प्रभु भगवान् ।।


आरती

आरती उतारूॅं ‘रे
मैं तो आरती उतारूॅं ‘रे
चन्दा प्रभु भगवान की
समन्त भद्र पहचान की

पहली आरती गर्भ समय की ।
बर्षा रतन, अनोखी देखी ।।

दूसरी आरती जन्म समय की ।
जलसा न्हवन, कतार घड़े की ।

तीसरी आरती त्याग समय की ।
शिक्षा वन दूजे दर्जे की ।।

चौथी आरती ज्ञान समय की ।
पा समशरण घृणा मृग फेंकी ।।

पांचवी आरती मोक्ष समय की ।
पा शिव सदन, पूर्ण यात्रा की ।।

आरती उतारूॅं ‘रे
मैं तो आरती उतारूॅं ‘रे
चन्दा प्रभु भगवान की
समन्त भद्र पहचान की

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