(१)
दोस्त का दिल कहता है
थोड़ा सा और
बस रहा दूर ज़र्रा सा ही आसमान
छू करके ही लौटना
दुश्मन का मन कहता है
ज्यादा मत उड़ो
वैसे किसी ने
आज तक छुआ नहीं आसमान
अच्छा है
कुछ नये दोस्त बनाये जायें
दुश्मन तो बगैर बनाये
विरासत में मिल जाते हैं
(२)
मैंने कभी साहस न खोया
हार होने से पहले
हार मानने वाला
बुजदिल जो होता है
अक्षर पलटाते ही
खुदबखुद कह रहा है
शब्द
हा…र
र…हा
जो हार होने तक
ठहर कर सामना करता है
उसके गले में
नायाब तजुरबातों का हार होता है
(३)
ज्यादा नहीं
बस कोई एक पा ले
फिर मंजिल से
रहते ही नहीं ज्यादा फासले
न सिर्फ पका खरबूज
बड़ा खूब
रंग बदलता दूज खरबूज
(४)
मंजिल के क़दम उसकी तरफ
बेकरार होकर के बढ़ते हैं
जो अपने हाथ धोकर के
उसके पीछे पड़ते हैं
बस हम पीछे क्या पड़े
खड़े कर देती है
समस्या अपने हाथ
दिन हो या रात
अर ! मेरे मन… आ
हाथ धोकर के पीछे पड़ें
पीछे नहीं,
तुरत के तुरत ही
बन चलेगी बात
(५)
पते का पता लग चला है मुझे
पर पते से लग न पाता हूँ
आलस से पीछा छुड़ाना है मुझे
परन्तु साहस रख न पाता हूँ
(६)
लोगबाग पूछते हैं मुझसे
माँ सरस्वती कण्ठ में कैसे आतीं हैं
मैं कहता हूँ उनसे
हाथ धो करके पीछे ‘पढ़ा’ जाता है
देवी लक्ष्मी भी अण्टी में आ जातीं हैं
हाथ धो कर के पीछे पड़ा जाता है
(७)
पीछे पड़ना जिसे आ गया
समझो वह कामयाबी पा गया
बहुत नहीं
बहुत बार पढ़ना पड़ता है
शिल पर पड़ा रस्सी का
निशान और क्या ?
यही तो कहता है
(८)
न.. फरत
फरते-फूलते नहीं हैं जो पेड़
उनसे दुनिया
तुरत के तुरत
न ‘कि देर-सबेर
करने लगती नफरत
आईये किसी के काम आयें
सफल कहायें
(९)
सुबह-सुबह
सो करके
सिर्फ हम ही न जागें
सोया हुआ
हमारा विश्वास भी जागे
सोया हुआ
हमारा साहस भी जागे
सोया हुआ
हमारा पौरुष भी जागे
तब मिल करके
सारीं कालीं शक्तियाँ भी
सोई हुई
हमारी किस्मत को जागने से
नहीं रोक सकतीं हैं
(१०)
लोरियाँ गाना सीख लो मानव
सोती है
सुलाओ तो,
बुजदिली देर तलक सोती है
एक ज्योती है
जगाओ तो
जिन्दादिली प्रकट होती है
यह तो सफेद झूठ है
‘के कामयाबी किसी की बपौती है
(११)
अय ! मेरे मन मत डरो
‘के कोई हमारे पैरों के नीचे की
जमीन न खींच ले
समय रहते पंख लगा लो
उड़ चालो
ऊपर
और ऊपर
बादलों से भी ऊपर
सच
किस का भरोसा भू पर
भाई
हरजाई
अंधेरे में अपनी ही परछाई
(१२)
खुदबखुद
शब्द ही कह रहा है
पढ़ाई
थे पढ़ने भर
‘प’ मतलब प्रेम के
ढ़ाई मतलब अढ़ाई अक्षर
कहाँ नफरत तक पहुँच चले हम
पूरे ढेड़ अक्षर ज्यादा हैं
और अपनी ढेड़ बुद्धि लगाने के लिए
बुजुर्गों ने मना किया है हमें
(१३)
निपटा सुलझा लो
मन की गाँठें
दिल का मलाल
वहीं के वहीं
कर रफा दफा लो
बोझिल गाँठें
सिर को तो झुकातीं हीं हैं
चाल में भी अन्तर लातीं हैं
और मंजिल पास कहाँ
कहा एक परिन्दे ने
अय बन्दे ! बड़ी दूर आसमां
(१४)
पास होते हैं
परीक्षा में पास होते हैं
हम आप तो बड़े हो चले हैं
उमर के कच्चे
जिगर के सच्चे
हाँ… हाँ… बच्चे
नन्हे-मुन्ने बच्चे
फेल होने से पहले,
न विश्वास खोते है
अग्नि-परीक्षा में भी पास होते हैं
(१५)
मैं मेंढक ना
आसान कहाँ
मैं मतलब अहंकार ढ़कना
और केकडा
न कौन कौन
मुझसे और क्या…कड़ा ?
कह रहा जो कोन कोन
(१६)
आने वाला कल
या कहो
गुजरा हुआ कल
दोनों बराबर ही है
किन्तु परन्तु
बात यह बराबर नहीं है
अक्षर पलटाकर के
कहता है गुजरा हुआ कल
क… ल
ल…क
हां… हां Luck लक
भाग जगाने आ रहा है
आने वाला कल
‘जी तोड़ मेहनत’
इस वाक्य के
शुरू के दो अक्षर
मिल कर के कहते हैं
जीतो
भाई समय रहते चेतो
(१७)
घड़ी घड़ी तीन काँटे
हमारी जिन्दगी की घड़िंयों में
कितने काँटे ?
बतलाओ तो ज़र्रा
याद महेश
तीन काँटे
याद अवशेष
दो काँटे
याद विशेष
एक काँटा रहा होगा
वगैर काँटों के लम्हा नहीं
एक अरसा नहीं
एक जमाना गुजर चला होगा
मतलब घड़ी से
बड़ी अच्छी किस्मत हमारी
आओ… करते हैं उत्सव की तैयारी
(१८)
किसी की बुराई
किसी की चुगली
किसी की निन्दा मत कीजिये
खोटा सिक्का जो है
कहीं पर भी नहीं चलेगा
सुनिए
निन्दा शब्द कुछ कुछ
निद्रा शब्द से मेल खाता है
गहरी और गहरी निद्रा में चली
जाती है निन्दा
बस आप मीठी लोरियों के साथ
अनूठी धपकियाँ तो दीजिये
(१९)
आसमान में भले नहीं
यहीं पृथ्वी से उड़ उड़ करके गया होगा
पर ध्यान रखिये
पानी पृथ्वी पर इकत्तर प्रतिशत है
अपने हाथ-पैर मारते रहिये
वरना हम डूब चलेंगे
अपने सब सपने टूट चलेंगे
(२०)
जी तोड़ मेहनत कीजिये
मेहनत शब्द में
‘मेह’ मतलब बादल होता है
ऐसे वैसे नहीं किस्मत के बादल
‘नत’ यानि ‘कि झुक चलें
मतलब बरस पड़ें
ऐसा कुछ कीजिये
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