सवाल
आचार्य भगवन् !
दीक्षा की रजत क्या स्वर्ण जयंती निकलने को है,
लेकिन देखते आ रहे है हम स्वयम्,
आपके बाजोटे पर,
गुरुणांगुरु ज्ञान सागर जी महाराज के द्वारा प्रदत्त वही धर्म ध्यान की पुस्तक,
जीर्ण-शीर्ष रक्खी रहती है,
और दीक्षित शिष्यों को आप नई पुस्तक,
प्रदान कर देते हैं,
लेकिन आप स्वयं वही रक्खे रहते है,
क्या विशेष लगाव है उससे,
‘कि ज्ञान सागर जी की कोई तो यादगार,
धरोहर, निशानी मेरे पास है,
या कोई और ही राज है ?
नमोऽस्तु भगवन्,
नमोऽस्तु भगवन्,
नमोऽस्तु भगवन्,
जवाब…
लाजवाब
देखिए,
बढ़ा हुआ हमारा कदम
एक इंच भी…
जा…जान ले खेल आता है
किसी न किसी तिर्यंच की
दूर पुस्तक,
यदि हमारे द्वार तक दस्तक देने
पेज भी आया
तो जरूर किसी न किसी पेड़ की,
इमेज पर पड़ी होगी काली छाया
अच्छा है बनती कोशिश,
हो हिंसा का ताण्डव कृश
सो सुनो,
औरों को तो देखा-सीखी आती
आ…हम ही पहला कदम बढ़ायें साथी
ओम् नमः
सबसे क्षमा
सबको क्षमा
ओम् नमः
ओम् नमः
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