सवाल
आचार्य भगवन् !
आपके आहार माता जी, महाराज जी,
व्रति भाई-बहिन के यहाँ,
प्राय: करके होते ही रहते हैं,
अब आचार्य श्री,
पैसा तो कोई भी ला सकता है
लेकिन प्रतिमाधारी व्रति लोगों को,
कोई कैसे लाये
भगवान् !
हमारे घर कब आओगे, आहार करनेे के लिए
नमोऽस्तु भगवन्,
नमोऽस्तु भगवन्,
नमोऽस्तु भगवन्,
जवाब…
लाजवाब
अजि
ऐसा वैसा नहीं
पय…सा
पैसा
पय यानि ‘कि दूध,
वो भी भैंस का
कुछ कुछ नहीं,
बहुत कुछ गरिष्ठ होता है
और अभीष्ठ होता है,
गाय गिर का
खड़ी चढ़ाई गिर सा
मुश्किल बड़ा
घर को व्रति बनाना
खुद को व्रति बनाना
सहज आसान बड़ा
बस आशा न बढ़ा
सहर्ष आ… सान बड़ा
फिर महाव्रति के कदम
रुक पड़ते स्वयम्
नवधा भक्ति देख
अभिलेख
ओम् नमः
सबसे क्षमा
सबको क्षमा
ओम् नमः
ओम् नमः
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