सवाल
आचार्य भगवन् !
ये तो जगत् प्रसिद्ध ही है
‘कि प्रस्तर से प्रतिमा,
माटी से मूर्ति बनाती है,
लेकिन भगवन् !
आप धातु से क्या बनाते हैं,
ये नई सी बात लगती है,
क्योंकि प्राचीन भूगर्भ से निकलीं
सभी प्रतिमाएं
प्रायश: पाषाण से बनी होती हैं
नमोऽस्तु भगवन्,
नमोऽस्तु भगवन्,
नमोऽस्तु भगवन्,
जबाब…
लाजवाब
अद्भुत
शब्दों से अच्छा खेल लेते हैं आप,
प्रस्तर से प्रतिमा,
माटी से मूर्ति
तो सुनिये,
धातु से धरोहर बनाते है हम
वैसे कोई नई परिपाटी न चलाते हैं हम
आगम सम्मत ही है
अनुगामी सन्मत ही है
मिट्टी के मन्दिर,
तो पत्थर की प्रतिमा
सुवर्ण के मन्दिर,
तो रतनों की प्रतिमा
सो भाई
न रखने वाला बुद्धि ज्यादा
एक नादाँ भी ‘दे…बता’
‘के पत्थर के मन्दिर,
तो किस की प्रतिमा
धातु की ही ना…
अमा !
कुछ जोर से
या आगम छोड़,
कुछ जोड़ के
बोल दिया हो, तो भाई क्षमा
ओम् नमः
सबसे क्षमा
सबको क्षमा
ओम् नमः
ओम् नमः
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