सवाल
आचार्य भगवन् !
ऐसे कैसे लैंस से देखते हैं आप,
जो गलती पहाड़-सी हम आपको बताते हैं,
उसका आप राई-सा प्रायश्चित दे करके,
हमें निर्भर कर देते हैं,
क्या आप हमारा पाप भगवन् से कह करके
अपने सर पर डाल लेते हैं,
क्योंकि सुना है,
माँ बच्चों की गलतियों पर,
स्वयं को सजा देती रहती है ?
नमोऽस्तु भगवन्,
नमोऽस्तु भगवन्,
नमोऽस्तु भगवन्,
जवाब…
लाजवाब
खलती
पहाड़े सी
‘गलती’
पहाड़ भी
पर एक गलत
न ‘कि दो गलत
दोगला तो बगुला भगत
और फिर तो गल…तियाँ
गल यानि ‘कि बातें,
तिया यानि ‘कि स्त्रियों की
और आप लोग प्रायश्चित का अर्थ
खूब समझते है
‘प्राय:’ पना
चारों खाने ‘चित्त’ करके
वही गलती,
आप लोग बार-बार कब करते हैं
और भगवन् से सिफ़ारिश करने में,
आपका कम,
ज्यादा नफा मेरा ही है
चूँकि किये सद्-करमों में
आपके द्वारा उठाये गलत कदमों में
सिर्फ छटा ही नहीं,
छटा छटाया एक बड़ा सा हिस्सा,
मेरा भी है
ओम् नमः
सबसे क्षमा
सबको क्षमा
ओम् नमः
ओम् नमः
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