सवाल
आचार्य भगवन् !
दीक्षा के समय,
आपके घने काले, घुँघराले,
बड़े-बड़े बाल थे,
सुनते हैं,
खून की धारा वह चली थी,
और आपके कमल से कोमल हाथ…
अँगुलियाँ कट गईं होगीं,
तब भगवन् ! आचार्य ज्ञान-सागर जी की क्या प्रतिक्रिया थी, कृपया बतलाइये ?
नमोऽस्तु भगवन्,
नमोऽस्तु भगवन्,
नमोऽस्तु भगवन्,
जवाब…
लाजवाब
बड़ा प्यारा शब्द है मरहम
कुछ कुछ निकलती सी ध्वनि
अर्हम्…
और अर्हम् मा… रग पर
बढ़ने वाले हरेक कदम,
माँ का किरदार निभाते हैं
‘और’ भाते हैं
मर…हम, बने मरहम
मगर माँ को ये शब्द पढ़ने न आते हैं
माँ तो जीते जी मरहम
दुखते जख़्मों की रूह काँपी है
माँ की एक फूँक काफी है
देख अपनी अंगुली
दृष्टि मेरी अगली
जब गुरुदेव पर पड़ती थी
तब उनकी मुस्कुराती छवि बड़ी फबती थी
गुरुदेव ने फिर के
आँखें बंद करके
कुछ बुदबुदाया
दुआ पढ़ते हुये, माँ का चेहरा मुझे याद आया
ओम् नमः
सबसे क्षमा
सबको क्षमा
ओम् नमः
ओम् नमः
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