loader image
Close
  • Home
  • About
  • Contact
  • Home
  • About
  • Contact
Facebook Instagram

जवाब लाजवाब आचार्य श्री जी

जवाब लाजवाब -451

By मुनि श्री निराकुल सागर जी महाराज 

सवाल

आचार्य भगवन् !
हंस विवेक,
नीर-क्षीर विवेक क्या कहलाता है
नमोऽस्तु भगवन्
नमोऽस्तु भगवन्
नमोऽस्तु भगवन्

जवाब…
लाजवाब

सुनिये,
भुवन-भुवन एक
हंस विवेक
होगी चील के पास होगी पैंनी नजर
जो न पड़ती अगर
घूरे पे डले चूहे पर
तो दूर थोड़े ही रह गया था अम्बर
किन्तु परन्तु हाय ! भाग-रेख
छोटी मोटी भी बात
दिमाग से उतर जाती है
मुट्ठी भरे छोटे से दिल में आकर के
सारी दुनिया समाती है
खट्टे अंगूर कहने पड़े
रक्खी रही चालाकी
अपने ही मन से
कहता गया, बस कछु…आ
कछु…आ
और रुक रुक कहकर
के मंजिल बुलाती है
और तो और
समते दृग् जलाभिषेक

लम्बीं लम्बीं चोटियाँ
रक्खीं रह जातीं पोथियाँ
और नजूमी तोते पिंजरे से निकल
बैठा जाते हैं गोटियाँ
ऐसे अनेक अभिलेख

दाढ़ी किसी की
माँ के पेट में ही आ जाती है
नहीं आ पाती है दाढ़ी किसी की
आ जाती यमराज की आखरी पाती है
अभी भी वक्त है मनुआ
संभल जा देख

Sharing is caring!

  • Facebook
  • Twitter
  • LinkedIn
  • Email
  • Print

Leave A Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

*

*


© Copyright 2021 . Design & Deployment by : Coder Point

© Copyright 2021 . Design & Deployment by : Coder Point