सवाल
आचार्य भगवन् !
आपने कभी आचार्य ज्ञान सागर जी के सामने,
कोई प्रश्न उठाया है,
या फिर नहीं,
ये मैं ऐसा इसीलिये पूछ रहा हूँ,
क्योंकि बच्चे तो सवालात उठाते ही रहते हैं
और ज्ञान सागर जी माँ का किरदार निभा रहे थे
जब आप विद्याधर के रूप में,
उनके पास बच्चे बन करके गये थे
नमोऽस्तु भगवन्,
नमोऽस्तु भगवन्,
नमोऽस्तु भगवन्,
जवाब…
लाजवाब
भाई !
मैं दक्षिण वाला था
पूर्व में सूर्य का बोल-वाला था
सुन था रखा,
पश्चिमी हवा
है करती मुँह काला
और मैं ठहरा सीधा-साधा
भोला-भाला
आया था उत्तर वाला
बनने के लिये
न ‘कि प्रश्न वाला
और कोई भी उठाये तो,
एक लात उठा सकता है,
दोनों उठायेगा तो,
धड़ाम से गिर नहीं जायेंगा
सो भैय्या सवालात उठाना,
मेरे बस का तो नहीं था
और एकलव्य कहानी
थी याद मुँह जुबानी
महिमा गुरु-प्रति-मा
जब अपरम्पार
तब मुझे अंधे के हाथ तो,
बटेर इस-बार
ओम् नमः
सबसे क्षमा
सबको क्षमा
ओम् नमः
ओम् नमः
Sharing is caring!