सवाल
आचार्य भगवन् !
मैं जब जब
अपनी सासू माँ के पास गई हूँ
तब तब उन्होंने
यही कहा है
‘के यह नौटंकी मत किया करो
भगवन्
मैं सच कह ही हूँ
सच्चे मन हो जाती हूँ
क्षमा माँगने
लेकिन जब ऐसा ताना सुनती हूँ
तो फिर कई दिनों तक
उनसे बात करने का
मन ही नहीं करता है मेरा
जाने पिछले भवों का कैसा वैर है
भगवन्
यह वैर समाप्त करने के लिए
क्या करना पड़ेगा मुझे
नमोऽस्तु भगवन्,
नमोऽस्तु भगवन्,
नमोऽस्तु भगवन्,
जवाब…
लाजवाब
सुनिये
किसी अपने से क्षमा माँगने जाएँ
या फिर उसके पैर छूने कदम बढ़ाएँ
और वह कह चले
यह नौटंकी मत करो
तो कम से कम
नौ दिन तक यह क्रिया
बराबर करते रहना चाहिये
और वो भी ऐसे वैसे नहीं दृग् सजल
वरना स्वयं सिद्ध हो चालेगा छल
यदि करते हो कैसे ?
तो सुनो ऐसे
वैसे शब्द स्वयं कह रहा है
‘के नौ टन की माप वाला कार्य है यह
न सही किलो ग्राम
न सही इतने मिली ग्राम
पर उतने दिन तक तो
अपनाओ यह प्रक्रिया निश्छल
जरुर समाप्त हो चालेगा वैर
पर ‘क्षमा’ माँगनी पड़ेगी बेर बेर
ओम् नमः
सबसे क्षमा
सबको क्षमा
ओम् नमः
ओम् नमः
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