सवाल
आचार्य भगवन् !
आप कहते हैं
बिना क्षमा माँगे ही
अपने से छोटों के लिये
क्षमा कर देना चाहिये
भूलें करना छोटों का स्वभाव है
और भूल जाना बड़ों का
सो गुरुजी
ऐसा कब तक चलाना है
नमोऽस्तु भगवन्,
नमोऽस्तु भगवन्,
नमोऽस्तु भगवन्,
जवाब…
लाजवाब
अच्छा,
एक बात पूछते हैं हम आप से,
बतलाइये ?
सक्षम कौन होता है
छोटा या बड़ा
हाँ मानते हैं छोटे भाई का नाम भी
हो सकता है सक्षम,
लेकिन वास्तविकता में तो
बड़ा ही सक्षम माना जाता है
सुनो
सक्षम
यानि ‘कि समर्थ
कोई भी तपाक से बोल देगा
लेकिन शब्द स्वयं ही
बोल रहा है
‘स’ यानि कि
सहित है जो
क्षम यानि ‘कि क्षमा से
वह सक्षम है
सो हमेशा ध्यान रखना
जब तक हम छोटों के लिए
क्षमा करते चलेंगे
तब तक ही बड़े कहला सकेंगे,
वरना एक वस्तु और पुकारी जाती है
हूबहू इसी नाम से,
‘बड़े’
उसमें और हममें
कोई ज्यादा फर्क न जायेगा
और हाँ
यदि पूछा ही है आपने
‘कि भूलों की भूल
कब तक भुलाना चाहिए
तो तब तक
आप भूलों में न आना चाहते हों जब तक
वैसे आप महावीर के
भक्त हैं
कम से कम वीर तो बनिये
धीर गम्भीर भी
ओम् नमः
सबसे क्षमा
सबको क्षमा
ओम् नमः
ओम् नमः
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