सवाल
आचार्य भगवन् !
नव देवताओं में,
अरिहत, सिद्ध, आचार्य, उपाध्याय, साधु,
जिन चैत्य, चैत्यालय व जिनागम तो
समझ में आता है,
पर जिन धर्म क्या है
नमोऽस्तु भगवन्,
नमोऽस्तु भगवन्,
नमोऽस्तु भगवन्,
जवाब…
लाजवाब
पूछा है
जिन धर्म क्या है ?
तो दया है,
दाँया हिरण है
शुभ शगुन है
आखर पलट दो तो,
द…या, या…द रखने योग्य ही नहीं
योग्य अनुकरण है
हमारे बड़े बुजुर्ग जानते थे
हम ‘जुबा’, ‘नर’ से पहले
बाल का प्रतिनिधित्व करते हुये
बा के साथ, नर हैं
यानि ‘कि
बहुत कुछ वानर हैं
जिसके छोरे को सिर्फ छोरा कहते है
छोड़ नहीं सकते अकेले
छाती से चिपका रखना पड़ता है
सुनो,
नव देवताओं में से
दया धर्म जिसके पास में रहता है,
वह भगवान् से पल के लिये भी दूर नहीं जाता है
बाकी देवताओं से तो
कभी-कभी मिलना होता है
यानि ‘कि तीज-त्यौहार
सो जानवी…
ओम् नमः
सबसे क्षमा
सबको क्षमा
ओम् नमः
ओम् नमः
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