सवाल
आचार्य भगवन् !
ज्वार जवाहर है,
मूँग मूँगा है,
मक्का मुक्ता है,
इन सबको तिलांजलि दे करके,
पिता श्री मल्लप्पा जी गन्ना और कपास की खेती करते थे प्राय: करके,
क्यों भगवन् !
कोई विशेष रहस्य छुपा है क्या इसमें,
कृपया राज खोलने की कृपा कीजिए
नमोऽस्तु भगवन्,
नमोऽस्तु भगवन्,
नमोऽस्तु भगवन्,
जवाब…
लाजवाब
गन्ना कई गुन्ना
एक बार लगाओ
बार-बार पाओ
केला… अकेला
और ऐसा वैसा थोड़े ही
कखहरा पास
जन-जन ने नवाजा तभी, नाम कपास
कान में रुई का एक फुइय्या दो
और तन पर एक फुर फुरिया लो
बस खण्ड खण्ड
पिण्ड ठण्ड
वजह यही
‘कि भारत सोन-चिड़िया कही
पर हाय ! आज ले रहा लोन
क…पड़े पहिन नाई लोन
कोसे वो कोसा
बन आस्तीन-साँप तेरी काँट करे
वो टेरीकॉट
था समझा हल्का
निकला शिलका वो शिल्क
हा ! स्वदेशी छोड़
रिश्ता जोड़ मुल्क मुल्क
ये क्या किया प्रतिभा-रत भारत
आ लौट चले,
है अभी भी समय
वरना कहीं का ना छोड़ेगा ये स्वारथ
ओम् नमः
सबसे क्षमा
सबको क्षमा
ओम् नमः
ओम् नमः
Sharing is caring!