सवाल
आचार्य भगवन् !
मन में कई विकल्प उठते रहते हैं,
ऐसा हो जायेगा तो क्या करूँगा,
वैसा हो जायेगा तो क्या करूँगा
डरता ही रहता हूँ
अनहोनी के बारे में सोचकर
नमोऽस्तु भगवन्,
नमोऽस्तु भगवन्,
नमोऽस्तु भगवन्,
जवाब…
लाजवाब
हाईकू
‘ऊँट को मेर
मिला दो
शेर को सवा-सेर’
सवाल मन-गणन्त
ला जवाब रक्खो तुरन्त
प्रश्न पेचीदा
कैंची सा उत्तर
क्या सुई न भाई
ऊपर नीचे
देख तो लो अच्छे से
आगे पीछे
होगा यहीं-कहीं जरूर होगा
चूड़ी का जोड़
चक्र व्यूह का तोड़
पैनी छैनी पड़ते ही संधि स्थान पर
टूूक-टूक पत्थर
यानि ‘कि रहता छुपा
प्रश्न में ही उत्तर
मान, गुमान, अभिमान कहते हैं
गैर, पराये जिसे
अपने, हमसाये उसे स्वाभिमान कहते हैं
क्यूँ बाहर रहते हैं
आप भीतर आइए
आप भी…तर आइए
ओम् नमः
सबसे क्षमा
सबको क्षमा
ओम् नमः
ओम् नमः
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