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जवाब लाजवाब आचार्य श्री जी

जवाब लाजवाब -414

By मुनि श्री निराकुल सागर जी महाराज 

सवाल
आचार्य भगवन् !
सन्यास आश्रम तो समझ में आया है
ये वृद्धाश्रम क्या है
नमोऽस्तु भगवन्,
नमोऽस्तु भगवन्,
नमोऽस्तु भगवन्,

जवाब…
लाजवाब
यह पहले विरथा आश्रम था
हा ! आज व्यथा आश्रम है
आसमां में जा के सभी खो जाते
सिवाय एक माँ के
सच बताएँ
ये रात में सितारे नहीं
लिये दीये
निकलतीं हैं माँएँ
खोजने मोरा
देख ले….
अब जीते जी माँ के
क्या बनना है फर्ज तोरा

सुनते हैं,
कहते कहते आसमाँ से एक तारा टूट पड़ा
था यहाँ तो झूठ बड़ा
‘अमृत’ पाने ऋत अहा
अब रहा
मैं कदम बढ़ा
हाथ बढ़ा
तू भी मेरी माँ

कभी न माँ…ने
जिसम
बच्चे जी…सम माने
और तो और,
जी से बड़ करके माने
ओम् नमः
सबसे क्षमा
सबको क्षमा
ओम् नमः
ओम् नमः

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