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जवाब लाजवाब आचार्य श्री जी

जवाब लाजवाब -411

By मुनि श्री निराकुल सागर जी महाराज 

सवाल
आचार्य भगवन् !
जिनवाणी सहज साध्य है, या दुरुह
नमोऽस्तु भगवन्,
नमोऽस्तु भगवन्,
नमोऽस्तु भगवन्,

जवाब…
लाजवाब
सुनो,
माँ आगे लगा करके बोलते हैं तो
वाणी यानी भाषा
मातृ भाषा हो चालती है
और बड़ी आसां हो चालती है
जो गये बग़ैर मदरसे आ जाती है
क्यों ?
क्योंकि,
मदर से पेट में ही सिख..लानी शुरु हो
जाती है

अथ… इति कहीं से भी
जुबाँ पर
जवां इतर
लो राख
सरस..वती
माँ कम न धाक

बग़ैर शरत कोई होता अगर
अपनी तरफ
तो माँ सिरफ

पौधे को आता कहाँ
सलीके के साथ बढ़ना
वो तो बागबाँ है
वरना,
क्षितिज छूता
पौधा रहता अछूता
छूने से आसमाँ
शुकर है रहती मेरी, मेरे पास माँ

बहिन को लगता
माँ भाई के ऊपर ज्यादा प्यार लुटाती है
भाई को लगता
बहिन माँ से खूब प्यार पाती है
भले कर ले खता
पर कोई दे-बता
माँ को बन्दर-बाँट नहीं आती है

सच…
जो आई…ना
वो आईना
अपने चेहरे पर जैसा मुखोटा
बेटा लगाता
वैसा झलक आता
ओम् नमः
सबसे क्षमा
सबको क्षमा
ओम् नमः
ओम् नमः

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