सवाल
आचार्य भगवन् !
आप जब स्वाध्याय करते है,
या फिर स्वाध्याय कराते है,
तब सिंहासन पर बैठना तो दूर रहा,
दूर-दूर तक उसे,
देखना भी नहीं पसंंद नहीं
करते हैं
ऐसा क्यूँ भगवन् !
कोई विशेष राज की बात है,
यदि हाँ तो कृपया बतला दीजिए?
नमोऽस्तु भगवन्,
नमोऽस्तु भगवन्,
नमोऽस्तु भगवन्,
जवाब…
लाजवाब
दे…खो,
सब अध्याय
स्व अध्याय देखो
कहता स्वाध्याय
इसे सिंहासन से नहीं
गवासन से
बैठकर गीले लोचन ले
जोड़कर दोनों हाथ
झुकाकर नयनो-माथ
पढ़ते हैं
‘सुनते हैं’
चूँकि अब जुगाली की बात है
जिस कला में शेर…
देर पहले ही खड़े कर चुका हाथ है
इस कला में सुर्ख़िंयों में कोई आय
तो सिर्फ गाय
जिसे कामधेनु कहा
यहाँ ‘काम’ क्या ?
तो पढ़ना पढ़ाना
ध्यान में रखते हुए कॉ…मा
माँ…का मान बढ़ाना
ओम् नमः
सबसे क्षमा
सबको क्षमा
ओम् नमः
ओम् नमः
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