सवाल
आचार्य भगवन् !
जमा…ना
बँटवारा वो भी माँ का ?
नमोऽस्तु भगवन्,
नमोऽस्तु भगवन्,
नमोऽस्तु भगवन्,
जवाब…
लाजवाब
राज…
धरती भगवान् की प्रतिमा
आज ‘धरती’ भगवान् की प्रति…माँ
उसके साथ में ई…माँ
माँ…ई जिसके साथ में
बच्चे का बँटवारा
कभी सपने में भी नहीं माँ को गवारा
हाँ…
बच्चे कर लेते है माँ का बँटवारा
हा ! हे परम पिता परमात्मा
तू है भी ?
विश्वास टूटता सा जा रहा हमारा
अपना सब कुछ जिसने बेवजह बाँटा
उसका बँटवारा हा !
दिन भर चैन की मुरलिया बजाने
रात फिर चैन की निंदिया रिझाने
दो दिन की जिन्दगी में
आज के दिन की गाड़ी आगे बढ़ाने से पहले
भगवत् नाम हेलमेट तो पहन ले
न कहा होगा किस माँ…ने
पहली कमाई के पैसों से
थी बच्चे ने दी लाकर घड़ी
बन्द होने पर भी कलाई से उतारी नहीं माँ…ने
यह कह करके घड़ी
‘के दिन में दो दफा
बता हो रही वक्त सही
है जादूगर बड़ी
जर्रा चख लो
बाजू वाली अम्मी
कुछ खाने में बनाती है
तो कहती है
और कहती है
अपनी मम्मी
जी भर कर, कर चट लो
घोड़ा कूँदा माँ…ने कहा
गिरने पर
जहाँ ने कहा
अब आया ऊँट पहाड़ के नाचे
तू तो झुकता जा
झुकता जा
झुकता जा…
माँ के चरणों के अलावा
कभी और न काशी
यहीं, और न काबा
रुलाने का काम
एक छोड़ के माँ को
न किस किस के नाम
उलझा कर डोर
सुदूर
जा दूर
बच्चा खड़ा हुआ
किसी के आने से पहले माँ लगी सुलझाने
‘के कोई आपस में न सहीं
मानस में ही कहीं
न लगे फुसफुसाने
है इसका बच्चा बिगड़ा हुआ
सच
माँ की खुशी का प्रथम दिन
उसके बच्चे का जनम दिन
ओम् नमः
सबसे क्षमा
सबको क्षमा
ओम् नमः
ओम् नमः
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