सवाल
आचार्य भगवन् !
आप कहते हैं परिन्दे फुदकते, चहकते
आईने हैं
क्या मतलब है इसका
नमोऽस्तु भगवन्,
नमोऽस्तु भगवन्,
नमोऽस्तु भगवन्,
जवाब…
लाजवाब
बच्चे हुये नहीं ‘कि फुर
फिर परिन्दे घौंसले की तरफ
देखते भी नहीं मुड़
आ तू भी आ
चार दीवारी फाँद
है यहाँ सिरफ,
खुल्ला-खुल्ला आसमां
जी चाहे जितना, उतना उड़
भले न छू पाये
पर छोड़-छाड़ कर घौंसला
परिन्दे का आसमान छूने का हौंसला
है काबिले-तारीफ
कहा उन्होंने चूजा
आखिर माँ का दिल रखते हैं
कुछ छिपा लिया
वास्तव में ये कहा तो है छू… जा
‘बच्चा’ कहा हमनें
क्या बच्चा कोई यहाँ
अच्छा ! कोई बच्चा दोई जहाँ
ना ‘ना’
बस इतनी सी बात
हमारे नहीं लगी उनके हाथ
काश ! लग हमारे भी हाथ जाये
तो बन बात जाये
ओम् नमः
सबसे क्षमा
सबको क्षमा
ओम् नमः
ओम् नमः
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