सवाल
आचार्य भगवन् !
किसी का सरनेम काला है, दोषी है,
तो किसी का बड़कुल
ये तथा गुण यथा नाम हैं
या फिर कोई और राज की बात है
नमोऽस्तु भगवन्,
नमोऽस्तु भगवन्,
नमोऽस्तु भगवन्,
जवाब…
लाजवाब
सुनिये क्या याद है आपको ?
मेरे दर्शन करने के लिए,
आपको आपके मित्र मेरे पास लाये थे,
तब उन्होंने आपका परिचय दिया था,
‘के आसाम के बड़े आसामी हैं यह
और बीच में हीं आपने,
उनकी बात काटते हुये कहा था,
नहीं नहीं भगवन् !
कोई खास नहीं आसाम का एक आम व्यापारी हूँ
छोटी सी कपड़े की दुकान है मेरी
बस ठीक ऐसा ही लोक-व्यवहार में चलता है
हमारे पूर्वजों ने, जो खुद नामकरण किया है
वह काला, दोषी आदि हैं,
और जो नाम करण राजा, महन्त या
समाज की तरफ से हमारे गुण, खूबिंयों को देख के किया गया है वह, बड़कुल, सेठ इत्यादि
‘के आप मुँह मिया मिट्टू बनिये
बनिये फिर कैसे
सो…
बात होशियार खल्ली
दी ग्वार फल्ली
जमा…ना
क्यूँ
हा ! क्यूँ
चतुर फल्ली कह डाला
ग्वार फल्ली नाम
ज्यादा कीमत वाला
ओम् नमः
सबसे क्षमा
सबको क्षमा
ओम् नमः
ओम् नमः
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