सवाल
आचार्य भगवन् !
‘एक गीत’
चले गये वो लोग कहाँ
गाय को जो कहते थे माँ
हँसती गैय्या हँसते थे
सिसकती गाय सिसकते थे
आहार करा
मनुहार भरा
गाय को, फिर खुद करते थे
थे पहले वो लोग यहाँ
चले गये वो लोग कहाँ
रघुकुल चला नाम जिन के
सन्तान न होती थी उन के
दशरथ भाये
रघुवर आये
गो-मैय्या-जै खिसका मनके
चले गये वो लोग कहाँ
चलती गैय्या चलते थे
ठहरती गाय ठहरते थे
स्नान करा
श्रृद्धान भरा
गाय को, फिर खुद करते थे
थे पहले वो लोग यहाँ
चले गये वो लोग कहाँ
धन्य हैं वो राम, गोपाल का राज्य
जहाँ दूध, दही, घी की नदियाँ बहतीं थीं
नमोऽस्तु भगवन्,
नमोऽस्तु भगवन्,
नमोऽस्तु भगवन्,
जवाब…
लाजवाब
सच
आ गो सेवक बनते हैं
सहज भाव गो’रे अन्दर ।
देव अनेक एक मन्दर ।।
भव वैतरणी तरते हैं ।
आ गो सेवक बनते हैं ।।
किशन गुणाला खेले सँग ।
भर भर पिचकारी में रंग ।।
पल बैकुण्ठ पहुँचते हैं ।
आ गो सेवक बनते हैं ।।
इह-भव ‘मही’ दूध नेनू ।
और, और-भव और सुकूँ ।।
धन ! भव मानव करते हैं ।
आ गो सेवक बनते हैं ।।
ओम् नमः
सबसे क्षमा
सबको क्षमा
ओम् नमः
ओम् नमः
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