सवाल
आचार्य भगवन् !
कितना नादान है इंसान
ज़िन्दगी की राह में
कॉंच किरात
कांटे दो पांच क्या देखता
शू-साईड कर लेता है
नमोऽस्तु भगवन्,
नमोऽस्तु भगवन्,
नमोऽस्तु भगवन्,
जवाब…
लाजवाब
कॉंधा देने की जगह
अपना काँधा लगवाना
पापा के अहसानों का
खूब बदला चुकाना
अमाँ माँ के अहसानों का
बखूब बदला चुकाना
लाठी बनने की जगह
सपने माटी में मिलाना
हाथों में चूड़िंयाँ पहिन लो
लाओ बहिन दो
खुद-कशी करते
मर्दों के हाथ अच्छे नहीं लगते
कौन सा मुँह लेकर जाओगे
खुद-कशी करके
कहीं और नहीं
ख़ुदा के घर जाना है
तपती दुपहरी में
धरती पड़ती,
उड़ती ‘काईट’ की सी छाया
सुसाईड और क्या भाया !
देखा जहाँ ‘जहाँ’ वहाँ-वहाँ माया
पल पलक
कर तो तू एक साईड
सुसाईड
कहानी में देर तलक
खरगोश मारता बाजी,
हारता कछुआ
जर्रा फिर से हेर तनक
खरगोश हारता,
बाजी मारता कछुआ
क…छुआ
कछु…आ
खुद-कशी मतलब भईये
करना बेमतलब
एक नहीं
घर-गृहस्थी वह गाड़ी
उसके चारों के चारों पहिये
जिन्दगी अपनी
अपनी कम
अपनों की ज्यादा
न करेंगे खुद-कशी कभी
आ…करते मिलकर सभी, वादा
फाँद कर दिवाल बेल आगे बढ़ गई
गिर उठ के चींटी दिवाल चढ़ गई
सच…
नखरेबाज हम
करते कल-आज हम
यूँ लगते वक्त ‘पर’
पर न आते बाज हम
हम आलसी बड़े
करने नकल खड़े
समझदार कम
ज्यादा लिखे-पढे
हम आलसी बड़े
नखरेबाज हम
करते कल-आज हम
यूँ लगते वक्त ‘पर’
पर न आते बाज हम
बातें करें बड़ीं
हम न बात के धनी
यूँ लगना हाथ क्या
सिवाय रोवना-वनी
नखरेबाज हम
करते कल-आज हम
यूँ लगते वक्त ‘पर’
पर न आते बाज हम
High Q.
झूठ व्हाईट,
की किसी बेजुवान ने सुसाईड
ओम् नमः
सबसे क्षमा
सबको क्षमा
ओम् नमः
ओम् नमः
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