सवाल
आचार्य भगवन् !
खुदबखुद ही कह रहा है,
शब्द ‘विष…वास’
फिर भी आप,
हर किसी पर विश्वास कर लेते हैं
क्यों कर लेते हैं ?
आचार्य भगवन् !
क्या आप विश्वास को
वि-विशेष श्वास मानते हैं
नमोऽस्तु भगवन्,
नमोऽस्तु भगवन्,
नमोऽस्तु भगवन्,
जवाब…
लाजवाब
ओ ! हो
सुनो तो,
विषापहार हैं ना
विष के लिये
गुरुदेव के द्वारा दिये दीये है ना
हाथ में जर्रा, लो तो उसके लिये
आंग्लभाषी समझ चले ये राज
भले हमने न सुनी,
दी उन्होंनेे आवाज
‘के यहाँ पर
‘विश’ का अर्थ बधाई है,
यानि ‘कि ‘विश’-वास
कुछ हटके, कुछ खास
हाँ…हाँ…
वि-विशेष श्वास तो है ही,
एक गूढ़ अर्थ और है
विश्व-आश
रख जिसे, लोग आते हैं मेरे पास
और उनके पास जो है,
वो देते हैं
धो…खा
धो करके खाने की बात कहे
रहे जितने गलत हमीं रहे
हैं वो तो साफ दिल के
भीतर बाहर एक
लेख करीब वही मंजिल के
ओम् नमः
सबसे क्षमा
सबको क्षमा
ओम् नमः
ओम् नमः
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