सवाल
आचार्य भगवन् !
कोई गाँठ बाँधने के लायक बात बतलाईये
नमोऽस्तु भगवन्,
नमोऽस्तु भगवन्,
नमोऽस्तु भगवन्,
जवाब…
लाजवाब
गर्दन उठा करके देखने से
दिख तो दूर तक का जाता है,
पर हमारा कद जो
देखने वालों की आँखों में वसा रहता है
वह कुछ बेहुदा सा हो चलता है
कभी देखिएगा आईने में
गर्दन उठा कर के
अपना चेहरा आगे-पीछे, आजू-बाजू से,
ऊँट से कम न लगेंगे हम
सो अच्छा है ओट में ही रहिये
अखरोट-नुमा इस दिमाग की
उधेड़ बुन को नाट कहिये
और क्या खूब कस के ‘नौट’ बांध कर के रखिए
‘के हम से बौने नेक
हम से नौने, देख क्यूँ रहे
अभिलेख यूँ रहे
देखो तो,
नजरें झुका कर
लोग-बाग ढ़ेर
सिर्फ और सिर्फ रहे हमें हेर
अपनी-अपनी गर्दन उठा-कर
सच ! हम-से बौने अनेक
हाईकू
पलकें झुका के
देखिये
गर्दन उठा के नहीं
ओम् नमः
सबसे क्षमा
सबको क्षमा
ओम् नमः
ओम् नमः
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