सवाल
आचार्य भगवन् !
‘उपल खाज खुजावते’ दौलत राम जी
मुनियों को स्तुति करते हुए कहते हैं
तो भगवान् !
क्या मुनिराज जड़ जैसे हो जाते हैं
नमोऽस्तु भगवन्,
नमोऽस्तु भगवन्,
नमोऽस्तु भगवन्,
जवाब…
लाजवाब
हाँ…जड़ जैसे हो जाते हैं
लेकिन जड़ नहीं हो जाते हैं
जड़ से ‘तर’
तर यानि ‘कि सदय हृदय
ऐसे वैसे न बनेगा
उपल बदल फल देना होगा
ला बादल जल देना होगा
धूप में खड़े होना होगा, तान के छाते
भाई ये सब, सभी को कहॉं आता
आता तो आ
‘के उड़े तोता
जड़-से तर
उपल खाज खुजावते
मृग-गण
विचर आसपास न डरावते
ऐसा बन पाऊँ जड़ सा
प्रभु मैं
‘के चढ़ा पाऊॅं
व्रत मन्दिर कलशा
ओम् नमः
सबसे क्षमा
सबको क्षमा
ओम् नमः
ओम् नमः
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