सवाल
आचार्य भगवन् !
भगवन् मानव शब्द कहता है
मॉं के नव रूप हैं कितना सच है यह
नमोऽस्तु भगवन्,
नमोऽस्तु भगवन्,
नमोऽस्तु भगवन्,
जवाब…
लाजवाब
कौन कहता है, माँ के नौ रूप हैं
कम कह दिया, यदि कहूँ ‘कि सौ रूप हैं
दर-दर भटकती माँगती मनौती माँ
सामने स्वाति मुँह बाती खातिर मोती माँ
घर भी-तर पढ़ी दूसरी पोथी माँ
करे नाम, गर्भ से ही संस्कारों की बपौती माँ
वैशाखी कभी तो बैठाती गोटी माँ
ले अपनी गोदी में, दे छुवा चोटी माँ
देख सामने अपने, बने छोटी माँ
आधी कह-के, देती पौन से भी ज्यादा रोटी माँ है
बच्चे की जगह कटघरे में खड़ी होती माँ
बहा अश्रु गंगा पाप बच्चों के धोती माँ
निश्चिन्त सिर्फ चार काँधों पे सोती माँ
दिल की गहराईंयों से तुझे प्रणाम कोटि कोटि माँ
ओम् नमः
सबसे क्षमा
सबको क्षमा
ओम् नमः
ओम् नमः
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